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सांजवात.. |
सांजसंध्या |
24 |
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चांगला होता जरी हा "त्या"स कधि ना भावला - |
विदेश |
4 |
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मत्कविता चालली ही! |
पदकि |
1 |
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कागाळी |
विशाल कुलकर्णी |
14 |
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माहेरपण..... |
चुकलामाकला |
11 |
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मी वळूनी हासले - चुकले जरासे |
सांजसंध्या |
33 |
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तुम्ही अनावर व्हा.... |
शिव कन्या |
3 |
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पाऊस खच्चुनी हा "अत्ता" कशास देवा??? |
अत्रुप्त आत्मा |
28 |
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एके दिवशी |
shrivallabh Panchpor |
6 |
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उंच भरारी घे पाखरा |
shrivallabh Panchpor |
1 |
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ती मात्र ............ |
एक एकटा एकटाच |
32 |
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निष्पर्ण |
शब्दबम्बाळ |
9 |
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तुकाराम होणे |
देवदत्त परुळेकर |
7 |
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रूसली ही पोर .. |
सांजसंध्या |
14 |
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पौरुषी... |
अत्रुप्त आत्मा |
22 |
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पळ पळ राधे, आला कान्हा घेऊन ग पिचकारी - |
विदेश |
6 |
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सावल्यांनी पोळलो आहे इथे मी ... |
drsunilahirrao |
13 |
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प्रेमाचे हाय कू (?) |
विवेकपटाईत |
5 |
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तुझा प्रवास सुखाचा होवो |
निनाद जोशी |
7 |
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वेड तिच्या प्रीतीचे…… |
निनाद जोशी |
3 |
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भग्न अवशेष |
कहर |
7 |
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अवेळी असे मेघ दाटून येता..... |
चुकलामाकला |
21 |
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हवं तरी काय! |
राशी |
11 |
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पाऊस....तो .... |
psajid |
1 |
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मले माईतच नाई... |
ऊध्दव गावंडे |
19 |
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गून्ता |
राशी |
30 |
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चाकोरिबद्ध आयुष्य नकोय मला! |
ज्योति अळवणी |
63 |
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अस्वस्थ!! |
VINOD J. BEDGE |
1 |
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नये |
शिव कन्या |
4 |
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ऐ....चल न.... |
ज्योति अळवणी |
193 |
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रुसवा |
ऊध्दव गावंडे |
25 |
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घर घर की काहानी |
ज्योति अळवणी |
25 |
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खोपडी सटकली |
वेल्लाभट |
9 |
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घराचे व्हर्चुअल व्हर्जन! |
शिव कन्या |
1 |
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डोळा लवतो लकी नसतो; |
ज्योति अळवणी |
22 |
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रुसलेले शब्द |
ज्योति अळवणी |
16 |
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प्रेमाची भाषा |
ज्योति अळवणी |
2 |
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प्रेमाचिया वाटे |
किरण कुमार |
0 |
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तो आणि ती |
ज्योति अळवणी |
8 |
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नाटक |
पदकि |
3 |
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चार अपशब्द |
पदकि |
14 |
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"किंमत" |
पदकि |
3 |
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गाठोडं |
निलरंजन |
2 |
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अंधार |
मिसळलेला काव्यप्रेमी |
12 |
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"खरे सत्य बोला/ जपून जपून" |
पदकि |
9 |
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सांब भोळा |
अत्रुप्त आत्मा |
28 |
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भूत... वर्त्तमान.... भवीष्य |
ज्योति अळवणी |
1 |
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१४ फरवरी (प्रेम दिन) - दोन क्षणिका |
विवेकपटाईत |
5 |
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बायल्यावाणी कायले मरतं? : नागपुरी तडका |
गंगाधर मुटे |
56 |
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कॉफ़ी |
ज्योति अळवणी |
11 |
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आत्म"मुक्ति! |
अत्रुप्त आत्मा |
30 |
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"जेसन आणि बोलती बेडकी" |
पदकि |
9 |
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चॉकलेटचा बंगला ऽऽ |
पद्मश्री चित्रे |
14 |
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श्यामसुंदर मुळे सरांचा शब्द-मेध यज्ञ |
पदकि |
3 |
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वैभवशाली वाडा जुना |
प्रमोद देर्देकर |
9 |
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मोज्यांचे दालन |
पदकि |
0 |
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क. सांगता येत नाही |
जातवेद |
15 |
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नकोच सोने हिरेजवाहिर देऊ तू मजला देवा |
विदेश |
6 |
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खरी कविता.. |
अत्रुप्त आत्मा |
16 |
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स्त्री |
उमेश कोठीकर |
11 |
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नेमक काय चुकतंय? |
शब्दबम्बाळ |
0 |
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इलेक्शनी- चारोळ्या |
विवेकपटाईत |
3 |
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खरड फळा रे खरड फळा |
प्रमोद देर्देकर |
13 |
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दोस्ताना! |
ज्योति अळवणी |
9 |
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चार पाच वर्षांपूर्वी लिहीलेली कविता |
पिनुराव |
22 |
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कावळा *** लकी नसतो; |
चुकलामाकला |
2 |
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कुमारी मैत्री विश्वास आठवणी |
ज्योति अळवणी |
12 |
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आई .... |
गणेशा |
21 |
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वावर |
ऊध्दव गावंडे |
13 |
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नेहेमीची गोष्ट |
ज्योति अळवणी |
0 |