राजेंद्र देवी in जे न देखे रवी... 21 Sep 2016 - 11:39 am श्वास... जीर्ण झाली सारी पाने आता हवा एक देठ नवा तिच फुले अन तेच वारे आता हवा गंध नवा सावल्यांनी घेरले आहे आता हवा एक सूर्य नवा ओशटलेली सारी नाती आता हवा एक बंध नवा जुने झाले श्वास सारे आता हवा एक श्वास नवा राजेंद्र देवी कविता माझीभावकवितामुक्त कविताकवितामुक्तक प्रतिक्रिया उत्तम कविता! 21 Sep 2016 - 1:04 pm | चांदणे संदीप आवडली! Sandy धन्यवाद... 21 Sep 2016 - 1:12 pm | राजेंद्र देवी धन्यवाद... वा!! 22 Sep 2016 - 10:56 am | पथिक वा!! धन्यवाद 22 Sep 2016 - 10:59 am | राजेंद्र देवी धन्यवाद
प्रतिक्रिया
21 Sep 2016 - 1:04 pm | चांदणे संदीप
आवडली!
Sandy
21 Sep 2016 - 1:12 pm | राजेंद्र देवी
धन्यवाद...
22 Sep 2016 - 10:56 am | पथिक
वा!!
22 Sep 2016 - 10:59 am | राजेंद्र देवी
धन्यवाद