भूशास्त्राच्या अंकलिपीची
पाने इथली उलटी
रंगभारले पहाड, अवघड
रस्त्याची वेलांटी
रण वाळूचे पायतळी अन्
हिमकण माथ्यावरती
किती विरोधाभास पचवुनी
फुलते इथली सृष्टी
रंग नभाचे प्राशुनी वाहे
निवळशंख हे पाणी
रौद्र नि प्रशांत उभय रसांचे
मिश्रण केले कोणी
(नुकत्याच केलेल्या लद्दाख वारीदरम्यान रेखाटलेले शब्दचित्र)
प्रतिक्रिया
22 Sep 2022 - 8:39 pm | कर्नलतपस्वी
शब्दचित्र आवडले.
23 Sep 2022 - 9:12 am | प्राची अश्विनी
वाह!
23 Sep 2022 - 9:19 am | ज्ञानोबाचे पैजार
शब्दचित्र आवडले,
पैजारबुवा,
24 Sep 2022 - 10:11 am | बाजीगर
खूप भाsssssssरी कविता !
मी गेलो होतो दोन महीन्यापूर्वी महिन्यात.
(आपल्यापासून स्फूर्ती घेऊन, ह्या ओळी खरडल्या...)
पँगाँग-लेक उंच सरोवर,
जणू आकाश वितळले!
पाणी कसे नीळेशार,
जागेपणी स्वप्न निथळले !!
30 Sep 2022 - 4:20 pm | श्रीगणेशा
छान शब्दचित्र!
30 Sep 2022 - 5:17 pm | श्वेता२४
आवडली
30 Sep 2022 - 5:20 pm | मनिष
लडाख/लद्दाख हा एक वेगळाच अनुभव आहे...