अस्पर्शिता..

सस्नेह's picture
सस्नेह in जे न देखे रवी...
15 Jun 2020 - 11:46 am

अस्पर्शिता एक राधा मानसीं दडून आहे..
रिक्त रुक्ष ओंजळीच्या रसतळीं भरुन वाहे..
वठला जरी तरु तो वैशाख अग्निदाहे..
नि:शब्द भावनांचे तृण-अंकुर गर्भि वाहे..
वनवास वाटचाल पायातळीं निखारे..
अंतरी परि चित्ताच्या श्रीहरी नित्य पाहे..
होरपळे तनु विरहाचा वैशाख-दाह साहे...
हृदयी परि गोविंद मीलनाची आस आहे..

gazalसंस्कृतीकवितामुक्तक

प्रतिक्रिया

रातराणी's picture

17 Jun 2020 - 11:02 am | रातराणी

कविता आवडली!

प्रचेतस's picture

17 Jun 2020 - 11:26 am | प्रचेतस

सुरेख

कौस्तुभ भोसले's picture

17 Jun 2020 - 4:12 pm | कौस्तुभ भोसले

छान

मन्या ऽ's picture

21 Jun 2020 - 11:08 am | मन्या ऽ

वाह

मोगरा's picture

22 Jun 2020 - 8:26 pm | मोगरा

कविता आवडली

गणेशा's picture

25 Jun 2020 - 1:37 pm | गणेशा

मस्त