विदेश in जे न देखे रवी... 14 Jan 2013 - 5:02 pm तुला भेटल्यावर मी एकही शब्द बोललो नाही ! अगदी स्वाभाविक आहे तुझा नंतरचा रुसवा फुगवा ; सांगू का खरेच सखे , तुला पाहताक्षणीच - नुसतेच पहावेसे वाटत राहिले...शब्दांनाही ! . . . कविता प्रतिक्रिया मस्त! 14 Jan 2013 - 5:37 pm | मिसळलेला काव्यप्रेमी :) नुसतेच पहावेसे 14 Jan 2013 - 6:09 pm | इनिगोय नुसतेच पहावेसे वाटत राहिले...शब्दांनाही ! मस्तच! छान जमलीय कविता. अनुमोदन.. 14 Jan 2013 - 8:15 pm | समयांत अनुमोदन..;) सुरेख!!! 15 Jan 2013 - 10:15 pm | शुचि सुरेख!!!
प्रतिक्रिया
14 Jan 2013 - 5:37 pm | मिसळलेला काव्यप्रेमी
:)
14 Jan 2013 - 6:09 pm | इनिगोय
मस्तच!
छान जमलीय कविता.
14 Jan 2013 - 8:15 pm | समयांत
अनुमोदन..;)
15 Jan 2013 - 10:15 pm | शुचि
सुरेख!!!