दोन मनांना सांधाणारा पूल म्हणजे मैत्री..
ग्रीश्मातालं शेवंतीच फूल म्हणजे मैत्री..
अवघड वळणावर मारलेला 'कट' म्हणजे मैत्री..
आयुष्यातली गोड्गुलाबी पहाट म्हणजे मैत्री..
तुटत्या तार्र्याकड़े मागितलेली इच्छा म्हणजे मैत्री..
रिकाम्या बेंच वर केलेली प्रतीक्षा म्हणजे मैत्री..
परिक्षेआधी मारलेली नाईट म्हणजे मैत्री..
प्रिंटआउट वरून झालेली फाईटही मैत्रीच..
गालावरचा अश्रु अन खळी सुद्धा मैत्री..
हाडाहुन राकट अन मनाहुन हळवी अशी ...
ही तुझी माझी मैत्री...
प्रतिक्रिया
20 Feb 2011 - 5:50 pm | नन्दादीप
वा.......मस्तच...!!! छान छान
21 Feb 2011 - 10:11 am | हरिप्रिया_
खूप छान...
21 Feb 2011 - 12:36 pm | कच्ची कैरी
कविता छान आहे पण अजुन थोडी मोठी हवी होती .
21 Feb 2011 - 12:37 pm | सारी
खुप छान कोमल... आवडली कविता...
21 Feb 2011 - 7:15 pm | कोमल
धन्यवाद मित्रानो...
21 Feb 2011 - 7:43 pm | गणेशा
मस्त कविता
21 Feb 2011 - 10:28 pm | शुचि
मस्त :)
21 Feb 2011 - 11:57 pm | आत्मशून्य
दे बाय डे बढता है डील से मीळ जाता है जादू हय ऐसा फ्रेंडशीप काssssssssssssssss