एक शून्य ...... |
अरुण मनोहर |
6 |
विडंबन - विश्वासदर्शक ठरावाच्या निमित्ताने |
उपटसुंभ |
1 |
"कवडसा" |
मनीषा |
1 |
बुश:काल होता होता, `लाल'रात्र झाली... |
अविनाश ओगले |
24 |
पहाट |
पंचम |
9 |
सार्याच आठवणी आहेत अजून मनात ताज्या |
फटू |
3 |
देवाची मुलाखत |
अरुण मनोहर |
2 |
माझी सुंदर आई |
श्रीकृष्ण सामंत |
2 |
ठपका! |
चतुरंग |
13 |
घरात भरल्या घुसले उंदीर... |
अविनाश ओगले |
15 |
(माउस) |
बेसनलाडू |
15 |
ठिपका |
अनिरुद्ध अभ्यंकर |
22 |
कार्यालय |
विनोद इन्गळे |
2 |
निवॄती |
केशवसुमार |
30 |
माधुरी..... |
उदय सप्रे |
28 |
((माउस)) |
अमोल केळकर |
0 |
(निवृत्ती) |
चतुरंग |
8 |
तहान !! |
निसर्ग |
1 |
तर हे अस आहे आभासी जग तुमच...!!!! |
आंबोळी |
13 |
निवृत्तीनाथ केशवसुमारास... |
अविनाश ओगले |
8 |
(तनःशांती!) |
चतुरंग |
10 |
आठवणी |
अथांग सागर |
8 |
(मोरपिशी साडी) |
बेसनलाडू |
7 |
भास |
धनंजय |
16 |
स्वेच्छानिवॄती |
चेतन |
1 |
मनःशांती |
ॐकार |
12 |
( हे चिकन मस्त आहे ) |
अमोल केळकर |
2 |
विडंबक |
कोलबेर |
11 |
कैदी आणि अंकूर |
अरुण मनोहर |
2 |
(लाडू सांगे...) |
बेसनलाडू |
12 |
आली फिरून उत्कंठा जगण्याची |
श्रीकृष्ण सामंत |
2 |
बिग बी |
केशवसुमार |
19 |
हिरवी जिद्द |
स्वाती फडणीस |
7 |
उघडी पाठ |
केशवसुमार |
10 |
अद्दल |
केशवसुमार |
13 |
( कंदील ) |
अमोल केळकर |
9 |
जोगवा |
केशवसुमार |
17 |
रविकर |
धनंजय |
21 |
((बैल)) |
आंबोळी |
20 |
प्रेमात... |
truptiparte |
0 |
(बैल) |
बेसनलाडू |
14 |
दे दे गं! सजणी आधार तुझ्या हाताचे |
श्रीकृष्ण सामंत |
4 |
"सहवास" |
मनीषा |
8 |
तर हे अस आहे कॉरपोरेट जग तुमच...!!!! |
स्नेहश्री |
5 |
दिवा |
आंबोळी |
16 |
(सोडवा) |
बेसनलाडू |
18 |
गं! राहू मी कसा भानावरी |
श्रीकृष्ण सामंत |
2 |
तृप्ती |
अमोल केळकर |
2 |
वात्रटिका |
शेखर |
1 |
गोडवा |
स्वाती फडणीस |
4 |
तृप्ती |
अमोल केळकर |
0 |
(ग बाई मी प्रतिसाद वाचीत होते..) |
अमोल केळकर |
12 |
बेवडे |
केशवसुमार |
18 |
छोटे मोठे कवी |
केशवसुमार |
13 |
खाली-वर, खाली-वर |
स्वाती फडणीस |
21 |
प्रतिसाद |
अमोल केळकर |
9 |
एक प्रायोगिक कविता |
केशवसुमार |
29 |
( अजोबांची काठी ) |
अमोल केळकर |
5 |
छोटे,मोठे तारे |
स्वाती फडणीस |
3 |
पावले |
स्वाती फडणीस |
13 |
(...ते तसे नाहीत ना, मी ...) |
केशवसुमार |
10 |
नजरेचा लपंडाव |
उदय सप्रे |
2 |
स्वतःचे देवपण विसरलास? |
namdev narkar |
1 |
(खेळी) |
केशवसुमार |
17 |
कार्यालय |
विनोद इन्गळे |
0 |
(तू) |
चतुरंग |
10 |
चिमणं गोष्टी |
स्वाती फडणीस |
14 |
... मी कुठे नाही म्हणालो |
ऋषिकेश |
9 |
चाहूल |
मनीषा |
10 |
(मोजलेली 'मापे') |
चतुरंग |
13 |