ही कविता वाचून , फार पूर्वी म्हणजे मी तारुण्याच्या उंबरठ्यावर असतानाआमच्या शेजारी रहाणाऱ्या कविता नावाच्या एका तरुणीची आठवण आली.
*****कविता*****
कविता म्हणजे माझ्या प्रेमजीवनाचे पहिले पान
कविता म्हणजे पिंजारलेल्या केसांचे सोनेरी रान
कविता म्हणजे ममता कुलकर्णीचे प्रतिबींब
कविता म्हणजे वाढणारे टिंब टिंब टिंब
कविता म्हणजे हलवत झोपवणारी खाट
(विदा सरकाईलो खटिया)
कविता म्हणजे भल्याभल्यांची लागलेली वाट
कविता म्हणजे सग्गळ्ळीकडून ब्युटीफुल्ल
कविता म्हणजे नेहमी हरवणारा सोनेरी डूल
(विदा बुगडी माझी सांडली ग, झुमका गिरा रे)
कविता म्हणजे ओष्ठद्वयीचा मधुर मेवा
कविता म्हणजे आठवणींचा अनमोल ठेवा...
प्रतिक्रिया
3 Nov 2015 - 10:21 am | जातवेद
=)
3 Nov 2015 - 10:23 am | मांत्रिक
हायला काय खतरनाक पाडलंय विडंबन!
3 Nov 2015 - 10:23 am | प्रा.डॉ.दिलीप बिरुटे
चांगलं चालु आहे.
-दिलीप बिरुटे
3 Nov 2015 - 11:13 am | चांदणे संदीप
पार धुरळाच!
हा शेवट म्हणजे सेफ Landing (अर्धचंद्र देता येईना राव!)
3 Nov 2015 - 1:20 pm | दमामि
:):):)ँ
3 Nov 2015 - 11:17 am | प्यारे१
दमामिच्या अनुभवाचे बोलच जणू....
पदर खोचून उभा दमामि दिसला.
3 Nov 2015 - 2:17 pm | निलम बुचडे
लय भारी हो...
3 Nov 2015 - 3:49 pm | दमामि
धन्यवाद!!
3 Nov 2015 - 2:45 pm | टवाळ कार्टा
ए हकलट...मी पाडणार होतो हे ईडंबन =))
3 Nov 2015 - 3:48 pm | दमामि
सेमच ना?;)
3 Nov 2015 - 3:55 pm | टवाळ कार्टा
3 Nov 2015 - 4:01 pm | दमामि
माझी कविता तुझी आशा परेरा,फार परक नाय !=))
3 Nov 2015 - 4:04 pm | टवाळ कार्टा
लैच फरक आहे ;)
3 Nov 2015 - 3:50 pm | दमामि
अजून बराच कच्चा माल आहे, उचल की एक! :):)
3 Nov 2015 - 3:52 pm | प्यारे१
अश्लील अश्लील!
3 Nov 2015 - 4:02 pm | दमामि
जाउद्या, वयंच हाय त्याचं.=)
3 Nov 2015 - 4:16 pm | प्यारे१
त्याचं वय आहे. मान्य.
तुमचं काय? का उगाच?
3 Nov 2015 - 4:29 pm | दमामि
चक्क प्यारे काही तरी मान्य करतायत? धन्य झालो!
3 Nov 2015 - 2:46 pm | अत्रुप्त आत्मा
व्वा! छाण!!!
3 Nov 2015 - 5:50 pm | एस
मामींना माहीत असेलच. हो ना?
3 Nov 2015 - 6:01 pm | बॅटमॅन
मामी म्हणजेच द-मामी =))
3 Nov 2015 - 6:04 pm | एस
वाक्य परत लिहितो :
'ही कविता मामींना माहीत असेल, हो ना?'
3 Nov 2015 - 6:15 pm | दमामि
शुssss कुठे बोलायचं नाय!=)
3 Nov 2015 - 6:40 pm | पैसा
ती कविता नंतर कुठे भेटली नाय का?
3 Nov 2015 - 6:46 pm | दमामि
भेटली ना! पण तोपर्यंत तिचे "अंगाई गीत" झाले होते.:)
3 Nov 2015 - 6:50 pm | मांत्रिक
ब्रिलियंट माणूस आहे हा दमाम्या!
काय शब्दप्रभुत्व आहे बेट्याचं!!!
4 Nov 2015 - 10:43 am | दमामि
धन्यवाद हो! तुम्ही माझे एकमेव पंखे!;)
4 Nov 2015 - 11:53 am | प्यारे१
बांधा सिलींगला! ;)
4 Nov 2015 - 11:16 pm | दमामि
अश्लील अश्लील!;)
4 Nov 2015 - 11:18 pm | टवाळ कार्टा
सि सि =))
3 Nov 2015 - 6:55 pm | आनंद कांबीकर
....कविताचे बाबा काय करतात हो?
3 Nov 2015 - 7:15 pm | दमामि
मिपा वर नवीन आहात का हो? कारण कधीही कुणाचे आईबाप काढू नयेत असा इथला आलिखित नियम आहे.=))
3 Nov 2015 - 7:36 pm | बबन ताम्बे
आणि तो पहीलवान होता का?
3 Nov 2015 - 7:39 pm | दमामि
जखमेवर मीठ!
काय सांगू कवितेची मुलं मलाच "मामू" बोलावतात.:/
3 Nov 2015 - 7:51 pm | मांत्रिक
अरे बिचारा!!!
4 Nov 2015 - 12:23 pm | पगला गजोधर
मग तुम्ही, तुमचं नाव बदलून, "दमामू" असं करून घ्या न !
5 Nov 2015 - 9:33 am | दमामि
विल्लू म्हणून गेला, नावात काय आहे ….
5 Nov 2015 - 10:30 am | अत्रुप्त आत्मा
@ नावात काय आहे ….>>> पुरुष आहे का स्त्री हे कळण्यळच प्रथम सामर्थ्य!
5 Nov 2015 - 11:01 am | टवाळ कार्टा
पुरुष आहे का स्त्री हे कळण्यळच पध्धत वेग्ळी अस्ते गुर्जी =))
5 Nov 2015 - 11:32 am | अत्रुप्त आत्मा
हो का? बाळ टक्कु. मग व्यक्ति न दिसता नुसत्या नावावरून ओळ खायची (तूझी) पद्धत सांग.
5 Nov 2015 - 12:45 pm | पगला गजोधर
शिवाय त्याच बरोबर, व्यक्ति न दिसता, नुसत्या नावावरून, ती एक व्यक्ती आहे, का समूह/कंपू आहे, हेही ओळखण्याची खुण, जाणकारांनी सांगावी
5 Nov 2015 - 1:20 pm | टवाळ कार्टा
खि खि खि...
5 Nov 2015 - 1:23 pm | दमामि
तुम्हाला कळली तर मला पण सांगा हा!
5 Nov 2015 - 1:20 pm | टवाळ कार्टा
का ओळ खावी
5 Nov 2015 - 1:21 pm | दमामि
सहमत.:):)
5 Nov 2015 - 1:53 pm | खटपट्या
कविथा चांगली, प्रतिसाद महाचांगले.
एकूण चांगभलं...