कानडाऊ योगेशु in जे न देखे रवी... 22 Sep 2015 - 12:34 pm रस्ता सरळ भुमी सपाट तरीही माझी चुकते वाट... पंगतीमागुन पंगत उठली.. मेल्यानंतर भलता थाट.. दो मृत्युंच्या शिखरांमध्ये आयुष्याचा अवघड घाट.. जरा किनारा दिसला आणि लाटेमागुन आली लाट... आयुष्याचे पीठ मळवले.. पापड कर वा पोळ्या लाट.. !!!!! - योगेश कविता प्रतिक्रिया सह्हीच! कवितेचा अर्थ काय आहे 22 Sep 2015 - 1:05 pm | मांत्रिक सह्हीच! कवितेचा अर्थ काय आहे हे कळून पण सुंदर म्हणतोच. कारण गतीमानता व सूचकता! आवडली! एक्सलंट! 22 Sep 2015 - 2:57 pm | वेल्लाभट एक्सलंट! बढिया!!!! 22 Sep 2015 - 4:39 pm | दमामि बढिया!!!! हम्म 22 Sep 2015 - 11:10 pm | पैसा आवडली ! छान 23 Sep 2015 - 12:24 am | अत्रुप्त आत्मा छान सर्व प्रतिसादकर्त्यांना 25 Sep 2015 - 9:49 pm | कानडाऊ योगेशु सर्व प्रतिसादकर्त्यांना धन्यवाद ( व वाचुन गेलेल्यांनाही!) गणपती बाप्पा मोरया! +१ 26 Sep 2015 - 11:23 am | नाखु दो मृत्युंच्या शिखरांमध्ये आयुष्याचा अवघड घाट.. हे फारच आवडले आहे
प्रतिक्रिया
22 Sep 2015 - 1:05 pm | मांत्रिक
सह्हीच! कवितेचा अर्थ काय आहे हे कळून पण सुंदर म्हणतोच. कारण गतीमानता व सूचकता! आवडली!
22 Sep 2015 - 2:57 pm | वेल्लाभट
एक्सलंट!
22 Sep 2015 - 4:39 pm | दमामि
बढिया!!!!
22 Sep 2015 - 11:10 pm | पैसा
आवडली !
23 Sep 2015 - 12:24 am | अत्रुप्त आत्मा
छान
25 Sep 2015 - 9:49 pm | कानडाऊ योगेशु
सर्व प्रतिसादकर्त्यांना धन्यवाद ( व वाचुन गेलेल्यांनाही!)
गणपती बाप्पा मोरया!
26 Sep 2015 - 11:23 am | नाखु
हे फारच आवडले आहे