रोजच्याच राघववेळी, उठण्याची घटिका झाली
दिवसाचे विझले डोळे, रात्रीस नीज ना आली
वडिलांच्या कानी बोले, आवाज आज आईचा,
"पुत्राच्या वाढदिनाचा, सोहळा खास घाईचा"
"पाहता पाहता सरली, परि कैशी इतकी वर्षे?"
बाळाचे कौतुक दाटे, डोळ्यांतुन श्रावण बरसे
औक्षणास उठते माता, वडिलांचा धरुनी बाहू
"उठवाया सोनूल्याला, दोघेजण मिळुनी जाऊ"
थरथरत्या हातांवरती, सावरती हार फुलाचा
भिंतीवर सैनिकवेषी, हसतो चेहरा मुलाचा
-- अमेय
प्रतिक्रिया
2 Nov 2013 - 6:41 pm | पाषाणभेद
काय बोलू समजत नाही :-(
2 Nov 2013 - 9:31 pm | इन्दुसुता
आई ग्गं !!
पाभे भाऊंप्रमाणेच काय बोलू समजत नाही.
2 Nov 2013 - 9:32 pm | डॉ सुहास म्हात्रे
निशःब्द !
3 Nov 2013 - 12:34 am | प्यारे१
.....
3 Nov 2013 - 1:09 am | कवितानागेश
....:(
3 Nov 2013 - 7:29 am | अत्रुप्त आत्मा
__/\__
3 Nov 2013 - 10:06 am | तिमा
लिहिणे शक्य नाही.
3 Nov 2013 - 10:29 am | आतिवास
:-(
आवडली असं म्हणणंही अवघड आहे!!
3 Nov 2013 - 3:33 pm | निवेदिता-ताई
........
3 Nov 2013 - 6:07 pm | चित्रगुप्त
अगदी शेवटल्या ओळीत अनपेक्षित झटका देऊन निशब्द केलंस मित्रा.
4 Nov 2013 - 3:10 pm | माम्लेदारचा पन्खा
खूप छान अमेय...लिहित रहा....
4 Nov 2013 - 7:54 pm | सुधीर
_/\_
4 Nov 2013 - 8:26 pm | आशिष सुर्वे
भावा, डोळयात चट्कन पाणी तराळले रे..
6 Nov 2013 - 10:03 am | कोमल
............
6 Nov 2013 - 10:20 am | प्रभाकर पेठकर
शब्दांचा फापटपसारा न मांडता एक अत्यंत प्रभावी काव्य प्रसविणार्या कवीच्या प्रतिभेला, संवेदनशीलतेला थरथरत्या हाताने सॅल्यूट.
6 Nov 2013 - 12:34 pm | मिसळलेला काव्यप्रेमी
!!
6 Nov 2013 - 11:09 pm | पैसा
आई ग!
7 Nov 2013 - 7:01 am | जेपी
*****
7 Nov 2013 - 7:28 am | स्पंदना
..........
7 Nov 2013 - 1:35 pm | आनंदमयी
थेट मनाला जाऊन भिडली....
7 Nov 2013 - 3:14 pm | ब्रिज
कवितेची गाडी त्या शेवट्च्या ओळींवर गचकन थांबली. नि:शब्द !
7 Nov 2013 - 4:14 pm | सूड
.
11 Nov 2013 - 6:45 pm | झंम्प्या
ताकत आहे राव तुमच्या शब्दात. खरंच. _/!\_
27 Nov 2013 - 12:14 am | राघव
काय बोलू?
वाईट्ट लिहिलंय राव. नि:शब्द.
27 Nov 2013 - 1:28 am | मस्तानी
हृदयद्रावक !
27 Nov 2013 - 1:40 am | जेनी...
शोकाकुल ...
मांडणी जबर्दस्त पावरफुल ..
27 Nov 2013 - 9:51 am | सुमीत भातखंडे
...
27 Nov 2013 - 11:04 am | आदूबाळ
छान कविता