जनुक जिन्याची सर्पिल वळणे
अणुगर्भातिल अदम्य लवथव
सूक्ष्माच्या प्रत्येक विभ्रमीे
कल्पिताहुनी अद्भुत वास्तव
अथांगासही क्षुद्र ठरविते
असीम व्याप्ती विश्वाची
प्रकाशवर्षे मोजुनी थकती
स्थलकालाच्या थिट्या मिती
शून्यस्पर्शी अन् अपार- व्यापक
ताणे-बाणे गहनाचे
तरल तलम सूक्ष्माचे तंतू
विणती वस्त्र विराटाचे
प्रतिक्रिया
3 Jan 2019 - 12:15 pm | ज्ञानोबाचे पैजार
शून्यस्पर्शी अन् अपार- व्यापक
ताणे-बाणे गहनाचे
हे विषेश आवडले
पैजारबुवा,
3 Jan 2019 - 12:27 pm | चांदणे संदीप
चांगली आहेत!
Sandy
3 Jan 2019 - 1:37 pm | टर्मीनेटर
सुंदर रचना.
3 Jan 2019 - 1:47 pm | डॉ सुहास म्हात्रे
सुंदर !
3 Jan 2019 - 2:35 pm | Blackcat (not verified)
शब्द लालित्य छान आहे,
बालकवीसारखे
4 Jan 2019 - 4:35 pm | अनन्त्_यात्री
देणार्या सर्वांना धन्यवाद!
4 Jan 2019 - 7:16 pm | खिलजि
सहजसुंदर मांडणी आणि खोल खोल विचार करायला लावणारी कविता .. काही शब्दातच आपण विज्ञानाला खुले आव्हान दिले आहेत जणू .. मस्तच ...
4 Jan 2019 - 10:31 pm | अनन्त्_यात्री
आपल्या सविस्तर प्रतिसादाबद्दल मन:पूर्वक धन्यवाद!
4 Jan 2019 - 10:47 pm | यशोधरा
शब्दा योजना आवडली.
5 Jan 2019 - 4:50 pm | मुक्त विहारि
आवडली..
5 Jan 2019 - 6:56 pm | अनन्त्_यात्री
धन्यवाद.
16 Jan 2019 - 8:47 am | आनन्दा
खूपच छान
18 Jan 2019 - 8:09 pm | अनन्त्_यात्री
आनन्दा
10 Nov 2019 - 11:10 am | सोत्रि
हे अफाट आहे!
- (अनन्त्_यात्री यांचा पंखा झालेला) सोकाजी