अनाहूत
अज्ञाताच्या देशातून कोणी अनाहूत येतो
जड चेतनाच्या सीमा पार पुसून टाकतो
धगधूर धुक्यातून क्षणमात्र डोकावतो
रस रंग नाद गंध सरमिसळ करतो
विझणार्या रोमरोमी ज्योती पेटवू बघतो
लेखणीच्या टोकापाशी थोडा अडून बसतो
मन ओथंबून येता सरसर बरसतो
अज्ञाताच्या देशातून कोण अनाहूत येतो?
कवितेच्या गावातून शब्द अनवट येतो!
भवताल कोंदुनिया दहा अंगुळे उरतो...
प्रतिक्रिया
6 Nov 2018 - 1:25 pm | यशोधरा
सुरेख!
6 Nov 2018 - 4:35 pm | मिसळलेला काव्यप्रेमी
क्या बात!!
6 Nov 2018 - 4:38 pm | मुक्त विहारि
तुम्हाला आणि तुमच्या कुटुंबियांना दिवाळीच्या हार्दिक शुभेच्छा....
6 Nov 2018 - 7:35 pm | तुषार काळभोर
सुंदर कविता
7 Nov 2018 - 2:55 pm | टर्मीनेटर
वाह
10 Nov 2018 - 2:54 pm | अनन्त्_यात्री
देणार्या सर्वांचे मन:पूर्वक आभार.
11 Nov 2018 - 10:56 am | मित्रहो
वाह कविता आवडली.
11 Nov 2018 - 2:00 pm | प्राची अश्विनी
वाह!
11 Nov 2018 - 10:40 pm | अनन्त्_यात्री
धन्यवाद!
12 Nov 2018 - 9:04 am | सौन्दर्य
कविता आवडली.
12 Nov 2018 - 12:05 pm | पद्मावति
मस्तंच. खुप आवडली.
13 Nov 2018 - 10:07 am | अनन्त्_यात्री
धन्यवाद!
13 Nov 2018 - 11:07 am | नाखु
भवताल कोंदुनिया दहा अंगुळे उरतो...
फारा दिवसांनी हा शब्दप्रयोग वाचला
पुन्हा एकदा धन्यवाद
13 Nov 2018 - 11:37 am | अनन्त्_यात्री
प्रतिसादाबद्दल मन:पूर्वक धन्यवाद!