हसरतें..!

राघव's picture
राघव in जे न देखे रवी...
11 Nov 2023 - 1:21 am

एका उदास संध्याकाली अचानक मोडक्या तोडक्या हिंदीत शब्द सुचायला लागलेत.. तसेच लिहून काढलेत.
मराठीकरण करायची गरज वाटली नाही. अर्थात् मिपाच्या धोरणांत बसत नसेल तर बेलाशक धागा उडवावा.

उनके आनेंकी हसरत में हम ग़ली सजाते चलें गये..
वो घरसे, हमारे जानें की, तारीख बता कर चलें गये.

उनकें लिये दिल का हर कोंना सजाया था चिरागोंसे..
वो अंधेरेसे हमारी वफा की याद दिला कर चलें गये..

उनसे जी भर बातें करने की आंस लिये बैठे थे हम..
मौका ही न मिला, वो बिना बताये चलें गये..

मिठी जुबां और हसता चेहरा.. ख्वाहिश-ए-ज़िंदगी थी
वो हमसे ज़िंदगी की चाह छीन कर चलें गये

बचपनसे जिंदगी के सपने संजोए हुए थे हम
वो उन सपनोंको नीलाम कर के चलें गये

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दिल की चाह की फ़िज़ुलियत कब तक संभालें अब..
कुछ़ लोगोंका और कुछ़ अपना भला करने चलें गये!

शांतरसकविता

प्रतिक्रिया

कर्नलतपस्वी's picture

11 Nov 2023 - 11:27 am | कर्नलतपस्वी

दिल का क्या है वो तो चाहेगा मुसलसल मिलना

वो सितमगर भी मगर सोचे किसी पल मिलना

तो........

इन हसरतों से कह दो कहीं और जा बसें

इतनी जगह कहाँ है दिल-ए-दाग़-दार में

बहादुर शाह ज़फ़र

संकेतस्थळ मराठीला समर्पित आहे. मराठी माय तर हिन्दी मावशी दोन्हींवर प्रेम आहे. रचना आवडली.

इतनी हसरते भी ना पालो ,यारो
की सांसो का आना जाना भी मुश्किल लगे......

प्राची अश्विनी's picture

12 Nov 2023 - 3:31 pm | प्राची अश्विनी

वाह!

कुमार१'s picture

27 Mar 2024 - 11:12 am | कुमार१

रचना आवडली.