कान्हा

पद्मश्री चित्रे's picture
पद्मश्री चित्रे in जे न देखे रवी...
17 Jun 2022 - 9:26 am

पैलतीरावर तुझी बासरी
घुमते ..कान्हा, वेड लावते
निळे मोरपीस ,श्यामल अंगी
खुलते आणिक हळू खुणवते

अस्तित्वाच्या हिंदोळ्यावर
मी ही होते राधा , मीरा
घनश्याम ,मनमोहन ओठी
निळाईत ही विरे दिठी.

निळा जलाशय निळ्या नभाशी
करीतो हितगुज हळवे,कोमल
सारे होई एकरूप अन्
व्यापून उरतो केवळ कृष्ण

कविता

प्रतिक्रिया

चित्रगुप्त's picture

17 Jun 2022 - 9:52 am | चित्रगुप्त

"व्यापून उरतो केवळ कृष्ण" .... च्या ऐवजी "व्यापुन उरतो कृष्णचि केवळ" असे लिहायचे होते का ?

पद्मश्री चित्रे's picture

20 Jun 2022 - 7:01 am | पद्मश्री चित्रे

हे जास्त छान आहे..धन्यवाद.

कर्नलतपस्वी's picture

17 Jun 2022 - 10:24 am | कर्नलतपस्वी

कविता आवडली. चित्रगुप्त यांचा छोटा बदल खुप भावला.

पद्मश्री चित्रे's picture

20 Jun 2022 - 7:03 am | पद्मश्री चित्रे

खरं आहे..सुचवलेला बदल चांगला आहे.
धन्यवाद

राघव's picture

20 Oct 2022 - 12:44 am | राघव

ही कविता कशी सुटली म्हणायची!
सुंदर, नेहमीप्रमाणेच! आवडली!! :-)

राघव's picture

20 Oct 2022 - 12:44 am | राघव

ही कविता कशी सुटली म्हणायची!
सुंदर, नेहमीप्रमाणेच! आवडली!! :-)

चौथा कोनाडा's picture

21 Oct 2022 - 11:35 am | चौथा कोनाडा

व्वा, खुप सुंदर कविता!
अगदी चित्रदर्शी ! निळ्या रंगात फिरवून आणलेत!

केवळ कृष्ण आणि कृष्णचि केवळ दोन्ही समर्पक वाटतात.

प्राची अश्विनी's picture

6 Nov 2022 - 8:39 pm | प्राची अश्विनी

सुंदर!