हर दिन नया था हर साल चुनौती।
कभी जशन मनाया कभी लगी पनौती।
बाऱीश देखी सुखा देखा खुब लगी धूप।
जीदंगी के झमेले मे पापड भी बेले खुब।
किसी ने दिया साथ तो किसी ने बढने से रोका।
मीला किसीका आशिश तो किसीसे मीला। धोका।
खुब कमाया खुब लुटाया खाया मिल बाँट के ।
कभी किसीका रंज न किया जिंदगी गुजारी ठाठसे।
कभी किये फाँखे कभी खायी रस मलाई।
सारी माया प्रभूकी जीसने ऐश करायी।
पैसंठ गुजरे अब छासठ का युवा हूँ।
आप सबको धन्यवाद और
प्रभूसे स्वास्थ की दुआ करता हूँ।
प्रतिक्रिया
4 Feb 2021 - 8:29 pm | चांदणे संदीप
आवडली कविता!
सं - दी - प
7 Feb 2021 - 9:04 pm | कर्नलतपस्वी
धन्यवाद
5 Feb 2021 - 10:14 am | प्रा.डॉ.दिलीप बिरुटे
किसी ने दिया साथ तो किसी ने बढने से रोका।
मीला किसीका आशिश तो किसीसे मीला। धोका।
खुब कमाया खुब लुटाया खाया मिल बाँट के ।
कभी किसीका रंज न किया जिंदगी गुजारी ठाठसे।
अहाहा ! क्या बात मस्त...असेच मराठीत पण येऊ दे...! पुढील लेखनासाठी शुभेच्छा...!
5 Feb 2021 - 1:37 pm | कानडाऊ योगेशु
मस्त.रॅप सॉन्ग करता येईल ह्या कवितेवर.
वाढदिवसाच्या शुभेच्छा कर्नलसाहेब.
कविता मस्तच आणि समयोचित.
शेवटच्या दोन ओळी बदलता आल्या तर पाहा.
कारण त्यामुळे कविता उगाचच तुमच्याच बाबतीत आहे असा ग्रह होतो.
उदा.
उम्र गुजरे फिक्र नही दिलसे बस युवा रहो..
पतझड आये पतझड जाये..बस हमेशा जवा रहो..
असे काही लिहिले तर कविता सार्वत्रिक वयाची होऊन जाईल.
7 Feb 2021 - 9:38 pm | कर्नलतपस्वी
8 Feb 2021 - 9:08 am | कर्नलतपस्वी
हर दिन बदलाव है ,हर साल नया पडाव।
जुझो तो जीवन है निरंतर बहाव
वरना नीरा सुखा तलाव..........
7 Feb 2021 - 9:38 pm | कर्नलतपस्वी