अनन्त्_यात्री in जे न देखे रवी... 6 Jan 2017 - 3:27 pm एक ग॑ध हलकासा सारा दिवस दरवळला एक उडती नजरानजर सारा दिवस गुणगुणला एक स्पर्श ओझरता दिवस सगळा झिणझिणला दिवस सरता सरता का जीव असा हुरहुरला ? कविता प्रतिक्रिया वाह! 10 Jan 2017 - 12:34 pm | पैसा खूप आवडली कविता! पैसा, धन्यवाद! 4 Aug 2017 - 11:11 am | अनन्त्_यात्री __/\__ वाह! 4 Aug 2017 - 11:49 am | पद्मावति वाह! पद्मावति, धन्यवाद 4 Aug 2017 - 1:42 pm | अनन्त्_यात्री ___/\___ मस्तच! 8 Aug 2017 - 11:50 am | चांदणे संदीप सुंदर! Sandy सन्दीप, 8 Aug 2017 - 8:05 pm | अनन्त्_यात्री प्रतिसादाबद्दल धन्यवाद! आठ ओळींची कविता छप्पन वर्षे मागे घेऊन गेली. 4 Sep 2025 - 9:32 pm | चित्रगुप्त आठ ओळींची ही कविता छप्पन वर्षे मागे घेऊन गेली. आठ वर्षांपूर्वीची, आठ ओळींची कविता .. 4 Sep 2025 - 9:34 pm | चित्रगुप्त आठ वर्षांपूर्वीची, आठ ओळींची कविता छप्पन वर्षे मागे घेऊन गेली... - असे लिहायचे होते. मस्त कविता 5 Sep 2025 - 12:28 pm | विवेकपटाईत मस्त कविता
प्रतिक्रिया
10 Jan 2017 - 12:34 pm | पैसा
खूप आवडली कविता!
4 Aug 2017 - 11:11 am | अनन्त्_यात्री
__/\__
4 Aug 2017 - 11:49 am | पद्मावति
वाह!
4 Aug 2017 - 1:42 pm | अनन्त्_यात्री
___/\___
8 Aug 2017 - 11:50 am | चांदणे संदीप
सुंदर!
Sandy
8 Aug 2017 - 8:05 pm | अनन्त्_यात्री
प्रतिसादाबद्दल धन्यवाद!
4 Sep 2025 - 9:32 pm | चित्रगुप्त
आठ ओळींची ही कविता छप्पन वर्षे मागे घेऊन गेली.
4 Sep 2025 - 9:34 pm | चित्रगुप्त
आठ वर्षांपूर्वीची, आठ ओळींची कविता छप्पन वर्षे मागे घेऊन गेली...
- असे लिहायचे होते.
5 Sep 2025 - 12:28 pm | विवेकपटाईत
मस्त कविता