गहिऱ्या गहिऱ्या आभाळात
तुझे निर्मळ, सच्चे डोळे,
सुसाटल्या वाऱ्यासवे,
तुझे स्वप्नांचे हिंदोळे
वीज येते, तशी तुझी
क्षणार्धात भेट,
गडगडाटी गोंगाटाचे
तुझे अनोळखीसे बेट
पाऊस सुरू होण्याआधी
इतकं सारं दाटून आलं..
पाऊस पडून गेला-
आणि तुला सांगायचं राहून गेलं
तुला सांगायचं राहून गेलं..
प्रतिक्रिया
9 Jun 2016 - 4:25 pm | प्राची अश्विनी
सुरेख!
9 Jun 2016 - 4:34 pm | प्रीत-मोहर
वाह।!!
9 Jun 2016 - 4:44 pm | पैसा
सुंदर!
9 Jun 2016 - 5:09 pm | मारवा
बोलुन चालुन अबोलीच नाव तुमच
9 Jun 2016 - 7:18 pm | एस
छान लिहिलेय.
9 Jun 2016 - 7:21 pm | आनन्दिता
सुंदर!!!
9 Jun 2016 - 7:26 pm | विवेकपटाईत
सुन्दर पावसाळी कविता
9 Jun 2016 - 7:30 pm | रमेश भिडे
या भाषाकोविद् बाई कविता कधीपासून करु लागल्या???
कविता म्हणून आवडली!
9 Jun 2016 - 10:24 pm | पिशी अबोली
धन्यवाद!
9 Jun 2016 - 10:34 pm | रेवती
कविता आवडली.
9 Jun 2016 - 10:34 pm | रेवती
कविता आवडली.
10 Jun 2016 - 12:18 am | अभ्या..
अबोल्या, आवडली गो कविता.
छान जमलीय अगदी.
हुशार आहे बहिणाबाई.
10 Jun 2016 - 4:54 am | यशोधरा
सुंदर!
10 Jun 2016 - 6:04 am | चाणक्य
मस्त
10 Jun 2016 - 6:30 am | चांदणे संदीप
सुंदरच!!
Sandy
10 Jun 2016 - 8:26 am | नाखु
सुटसुटीत आणि तरीही परिणामकारक.
10 Jun 2016 - 11:23 am | भरत्_पलुसकर
आवडली कविता.
10 Jun 2016 - 11:28 am | सस्नेह
...हे खासच !
10 Jun 2016 - 1:46 pm | कवितानागेश
किती छान.
10 Jun 2016 - 3:53 pm | पिशी अबोली
सर्वांना मनःपूर्वक धन्यवाद! :)
10 Jun 2016 - 4:40 pm | टवाळ कार्टा
अरे व्वा
10 Jun 2016 - 4:45 pm | कविता१९७८
मस्त
10 Jun 2016 - 4:48 pm | इरसाल
पण काय सांगायच राहुन गेलयं ते कोण सांगणार ??????
10 Jun 2016 - 8:50 pm | भुमी
सुंदरच,
.....वीज येते, तशी तुझी
क्षणार्धात भेट...
मस्त लिहीलिय...
10 Jun 2016 - 8:50 pm | भुमी
सुंदरच,
.....वीज येते, तशी तुझी
क्षणार्धात भेट...
मस्त लिहीलिय...
10 Jun 2016 - 8:58 pm | जव्हेरगंज
क्लास!
10 Jun 2016 - 11:54 pm | एक एकटा एकटाच
सहिए
11 Jun 2016 - 1:23 am | खटपट्या
वा !
11 Jun 2016 - 9:06 am | रातराणी
मस्तच!
11 Jun 2016 - 3:24 pm | पिशी अबोली
धन्यवाद!
बऱ्याच काळानंतर कविता लिहिली. तुम्हा सर्वांच्या कौतुकाने हुरूप आला..
11 Jun 2016 - 5:15 pm | नूतन सावंत
सुरेख कविता.
11 Jun 2016 - 5:15 pm | नूतन सावंत
सुरेख कविता.
11 Jun 2016 - 6:08 pm | अजया
थोडक्या शब्दात बरंच काही सांगणारी कविता.कवितेचं हे वैशिष्ट्य पुरेपूर उतरलंय या कवितेत म्हणून जास्त आवडली.
पुकप्र!
11 Jun 2016 - 11:13 pm | टर्बोचार्जड फिलॉसॉफर
छान कविता
मनाच्या तळ्यावरती आठवांचे पक्षी आले
तुझ्या जुन्या पाऊलखुणा त्यात माझे ठसे ओले.......
ही कविता/गाणे आठवले