निळारंभ

सार्थबोध's picture
सार्थबोध in जे न देखे रवी...
24 Sep 2013 - 9:37 am

हे निळारंभ मुक्तसे
काही मला खुणावे
बोलेल जरी मजपाशी
मन करीन मोकळे ll १ ll

माझ्या उरात दाटे
व्यथा बरे कशाची
करतील दूर काय
तिज मेघ सावळे ll २ ll

बोलू कसा तयाला?
जीव आर्त गुदमरे
संकेत विहंग सांगे
घे भरारी अवखळे ll ३ ll

मी बोलता जरासा
तोही भरून आला
तळमळ झुगारुनी
तो विजेत विरघळे ll ४ ll

हा पाऊस आसवांचा
वाहून हर्ष त्याला
मी ही भिजून चिंब
दु:ख सारे निमाले ll ५ ll

- सार्थबोध

कविता

प्रतिक्रिया

पैसा's picture

24 Sep 2013 - 12:14 pm | पैसा

आवडली!

मदनबाण's picture

30 Sep 2013 - 11:50 am | मदनबाण

छान...

स्पंदना's picture

1 Oct 2013 - 4:49 am | स्पंदना

हं! मस्तच!

सुधीर's picture

2 Oct 2013 - 10:37 am | सुधीर

कविता आवडली.

psajid's picture

3 Oct 2013 - 2:44 pm | psajid

मी बोलता जरासा
तोही भरून आला,
तळमळ झुगारुनी
तो विजेत विरघळे

हे खुप छान साधलंय !

गुरुचरण's picture

7 Oct 2013 - 11:21 am | गुरुचरण

वाह सुरेख
-गुरुचरण

आतिवास's picture

7 Oct 2013 - 11:32 am | आतिवास

आवडली.

यशोधरा's picture

7 Oct 2013 - 12:57 pm | यशोधरा

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