अंकुर

अज्ञातकुल's picture
अज्ञातकुल in जे न देखे रवी...
4 Mar 2013 - 10:22 am

शुष्क दिसे, पोटी पण पाणी,
हृदयी एक कहाणी,
बीजे अगणित दडलेली,..
पाहिली कधी का कोणी ?

श्वासात उसासे जडलेले
आतूर सदा आणीबाणी
छाया मेघांची कुंद जशी
ओठी थिजलेली वाणी ?

सर सर सर शिरवा शिडकावा
काहुरते एक विरह राणी
हुरहुरते सुप्त, डंवरते मन
अंकुरते व्याकुळ धरणी

....................अज्ञात

अद्भुतरसकविता

प्रतिक्रिया

स्पंदना's picture

5 Mar 2013 - 5:13 am | स्पंदना

__/\__!

मिसळलेला काव्यप्रेमी's picture

5 Mar 2013 - 8:32 am | मिसळलेला काव्यप्रेमी

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नगरीनिरंजन's picture

5 Mar 2013 - 8:44 am | नगरीनिरंजन

छान कविता!
पण दुसरे कडवे खटकले. ते नसते किंवा वेगळे असते तर अप्रतिम वाटली असती.

तिमा's picture

5 Mar 2013 - 10:59 am | तिमा

'आणीबाणी' हा शब्द सोडून बाकी कविता आवडली.

अज्ञातकुल's picture

5 Mar 2013 - 11:15 am | अज्ञातकुल

मान्य आहे दुसरे कडवे काढून टाकले तरी चालेल पण ते इथून कसे काढायचे ते मला माहित नाही :-(

अग्निकोल्हा's picture

5 Mar 2013 - 10:10 am | अग्निकोल्हा

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वेल्लाभट's picture

5 Mar 2013 - 11:12 am | वेल्लाभट

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इन्दुसुता's picture

8 Mar 2013 - 9:07 pm | इन्दुसुता

अपर्णा आणि मिका यांच्याशी सहमत.