विदेश in जे न देखे रवी... 28 Jul 2012 - 7:10 pm शब्दांच थैमान डोक्यातल्या कप्प्यातून घुटमळतात शब्द तेच मनांत कधीपासून - डोकावतात संधी साधत बेटे लेखणीतून घरंगळत पहुडतात कागदावर कविता बनून ! शांतरसकविता प्रतिक्रिया (No subject) 28 Jul 2012 - 7:18 pm | कवितानागेश :) व्वाह... ! धरम>>>वीरू मोड 28 Jul 2012 - 9:23 pm | अत्रुप्त आत्मा व्वाह... ! धरम>>>वीरू मोड ऑन>>>''एक कवी का हाल, दुसरा कवीही जान सकता है'' <<<धरम<<<वीरू मोड ऑफ ;-) झक्कास्स्स 28 Jul 2012 - 10:06 pm | पक पक पक झक्कास्स्स :)
प्रतिक्रिया
28 Jul 2012 - 7:18 pm | कवितानागेश
:)
28 Jul 2012 - 9:23 pm | अत्रुप्त आत्मा
व्वाह... !
धरम>>>वीरू मोड ऑन>>>''एक कवी का हाल, दुसरा कवीही जान सकता है'' <<<धरम<<<वीरू मोड ऑफ ;-)
28 Jul 2012 - 10:06 pm | पक पक पक
झक्कास्स्स :)