माझी अधुरी कविता

रसप's picture
रसप in जे न देखे रवी...
28 Mar 2012 - 6:45 pm

मी जपली जीवनभर जी
वसने सारी ती विरली
ओसाड शून्य नजरेच्या
स्वप्नांची चौकट झिजली

भुरभुर कापूस धुक्याचा
चौफेर पसरला आता
रस्ताही संपुन गेला
ह्या वळणावरती येता

काजळल्या क्षितिजापाशी
नि:शब्द गुंतली किरणे
श्वासांना अवजड झाले
श्वासांचे ओझे बनणे

माझ्यामागे शब्दांचे
उद्विग्न उसासे काही
त्या शेवटच्या पानावर
गवसेल सांडली शाई

तू नकोस माझ्यासाठी
थेंबातुन वाहुन जाऊ
माझ्या अधुऱ्या कवितेने
तू नकोस भारुन जाऊ

....रसप....
http://www.ranjeetparadkar.com/2012/01/blog-post_30.html

करुणकविता

प्रतिक्रिया

प्रचेतस's picture

28 Mar 2012 - 6:46 pm | प्रचेतस

भन्नाट.

रसप साहेब , मस्त सही कविता

पैसा's picture

28 Mar 2012 - 8:43 pm | पैसा

खूपच छान!

हारुन शेख's picture

28 Mar 2012 - 8:47 pm | हारुन शेख

छान लिहिता अजून येऊ देत.

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मिसळलेला काव्यप्रेमी's picture

29 Mar 2012 - 11:12 am | मिसळलेला काव्यप्रेमी

माझ्यामागे शब्दांचे
उद्विग्न उसासे काही
त्या शेवटच्या पानावर
गवसेल सांडली शाई

मस्तच!

रुमानी's picture

29 Mar 2012 - 3:38 pm | रुमानी

मस्त लिहिलिये !छान.......!