कृष्णानुराग संकीर्तन --
श्रीकृष्ण मोहन, सर्वज्ञान घन,
भक्त पूजित, श्याम मोहन |
रास-क्रीडा , रचित वल्लभ,
गोप गोपी जन, प्रिय मोहन ||
सर्व तुष्टीकर, सर्व पुष्टीकर,
धेनु वत्सल, गोप मोहन |
जगत चालक, भक्त भावन,
जगत पोषण, मुरली मोहन ||
भवताप भंजन, लोक रंजन
पाप नाशन, प्रेम मोहन |
कृष्ण कृपाकर, मोक्ष दायक
वैकुंठ नायक, विश्व मोहन ||
-- सागर लहरी २२-८-२०११
प्रतिक्रिया
26 Aug 2011 - 8:15 am | पाषाणभेद
सुंदर भक्तिमय रचना