भर पावसात चहूबाजूच्या सह्यकड्यांतील गहन शांततेला तीक्ष्ण बोचकारे काढत मशीनचा अजस्र हात आडवातिडवा फिरत होता. झाडं फाटून, उन्मळून पडत होती. डोंगराची ओली माती चामडी सोलावी तशी विदीर्ण होत उपसून निघत होती. खळाळणारे पाणी नव्या खड्ड्यात बिचकून थांबत रस्ता शोधत होते.
ताठ-कॉलर-शुभ्र-लुंगीवाला हाताची घडी घालून ते एकटक पहात होता.
बाजूचा मळकट-लेंगेवाला दाढीचे खुंट खाजवत चुळबुळत होता.
हिरव्यागर्द झाडोर्याची खांडोळी करत मशीन डोंगराआड गेले. त्याचा दबलेला आवाज जणू दूरच्या समुद्रगाजेसारखा गूढ झाला.
लुंगीवाला वळून म्हणाला, "तुम मराठी लोग बहूत लेझी...! रबर के लिये बहूत अच्चा जमीन."
गांधी-टोपी-मळकट लेंग्याने त्याची नजर चुकवत मान हलवली आणि विडी शिलगावली.
प्रतिक्रिया
4 Aug 2015 - 11:34 pm | रेवती
+१.
4 Aug 2015 - 11:46 pm | शलभ
+१
4 Aug 2015 - 11:52 pm | टवाळ कार्टा
+१
4 Aug 2015 - 11:56 pm | बहुगुणी
अगदी चित्रदर्शी वर्णन:
तीक्ष्ण बोचकारे काढत मशीनचा अजस्र हात आडवातिडवा फिरत होता. झाडं फाटून, उन्मळून पडत होती. डोंगराची ओली माती चामडी सोलावी तशी विदीर्ण होत उपसून निघत होती. खळाळणारे पाणी नव्या खड्ड्यात बिचकून थांबत रस्ता शोधत होते.
माझंच न्यून असेल, पण 'कथा' सापडली नाही कुठे...
4 Aug 2015 - 11:59 pm | चलत मुसाफिर
शीर्षकासहित विचार केल्यास कथामूल्य सापडेल असे सुचवू इच्छितो. पण आपले स्पष्ट मत आवडले.
5 Aug 2015 - 9:08 am | पगला गजोधर
नाशिक परिसरात गोदावरीच्या जवळपास घडलेल्या .....
5 Aug 2015 - 6:51 am | मुक्त विहारि
+१
5 Aug 2015 - 6:57 am | जेपी
+1
5 Aug 2015 - 7:04 am | जडभरत
+१
5 Aug 2015 - 7:30 am | प्रीत-मोहर
+१
5 Aug 2015 - 8:33 am | दमामि
+1
5 Aug 2015 - 10:42 am | असा मी असामी
+१
5 Aug 2015 - 11:02 am | पाटील हो
+१
5 Aug 2015 - 12:08 pm | अविनाश पांढरकर
+१
5 Aug 2015 - 12:41 pm | डॉ सुहास म्हात्रे
+१
5 Aug 2015 - 12:44 pm | चिगो
+१ कथेला.. रबर-लागवडीच्या नावाखाली ह्या रबर-कंपनीवाल्यांनी जमिनी 'मोनोक्रॉप्ड' केल्यात.. आमचे एक सर कट्टर रबर-लागवड विरोधी आहेत, आणि मी त्यांना पुर्णपणे समर्थन करतो..
5 Aug 2015 - 12:44 pm | gogglya
+१
6 Aug 2015 - 7:27 am | शिव कन्या
वा! चित्रदर्शी शब्दकळा. +१
6 Aug 2015 - 8:45 am | ब़जरबट्टू
+1
6 Aug 2015 - 9:02 am | बोका-ए-आझम
+१
6 Aug 2015 - 2:28 pm | तुमचा अभिषेक
+१
6 Aug 2015 - 2:43 pm | खटपट्या
+१
6 Aug 2015 - 4:31 pm | सानिकास्वप्निल
+१
6 Aug 2015 - 4:34 pm | प्यारे१
+१११
6 Aug 2015 - 7:12 pm | प्राची अश्विनी
+१
7 Aug 2015 - 9:07 pm | बहिरुपी
+१
7 Aug 2015 - 9:12 pm | अत्रुप्त आत्मा
+१
7 Aug 2015 - 9:16 pm | पैसा
+१
8 Aug 2015 - 10:12 am | नूतन सावंत
+१.
चिगो,मी त्यांना पूर्ण समर्थन देतो किंवा मी त्यांचे पूर्णपणे समर्थन करतो,अशी वाक्यरचना असायला हवी,असे वाटते.
9 Aug 2015 - 1:24 am | सुहास झेले
+१
9 Aug 2015 - 12:22 pm | तीरूपुत्र
+१