विअर्ड विक्स in जे न देखे रवी... 23 Oct 2013 - 2:35 pm निशब्द राहिलो जरी मी पाहुनी सारे न्याहाळले कायम तुज विसरुनी तारे, भावनेस शब्दांची जोड का हवी कधी ओळखशील माझी ओढ हि खरी... शृंगारचारोळ्या प्रतिक्रिया अशा लेखनासाठी 24 Oct 2013 - 11:32 am | संजय क्षीरसागर खरडफळा ही सुविधा वापरावी सहमत. 24 Oct 2013 - 12:59 pm | प्रचेतस सहमत.
प्रतिक्रिया
24 Oct 2013 - 11:32 am | संजय क्षीरसागर
खरडफळा ही सुविधा वापरावी
24 Oct 2013 - 12:59 pm | प्रचेतस
सहमत.