मिटवुनी रात्र काळी, झळके पहा दिवाळी
ओल्या नव्या सकाळी, आली पहा दिवाळी
पसरे नभी झळाळी, उठवे पहा दिवाळी
झाकोळुनी नव्हाळी, नटते पहा दिवाळी
कोवळी कळी डहाळी, उमले पहा दिवाळी
शोभुनी दारी रांगोळी, सजते पहा दिवाळी
ज्योत ज्योत पिवळी, उजळे पहा दिवाळी
आतशबाजी आभाळी, चमके पहा दिवाळी
गोडधोड फराळी, खुणावते पहा दिवाळी
नातीगोती कोवळी, जपते पहा दिवाळी
शांती, सुख ओंजळी, घालते पहा दिवाळी
सुचवुनी चार ओळी, बोलते पहा दिवाळी
अशी ही मराठमोळी, सुखावते पहा दिवाळी.
मीनल गद्रे.
प्रतिक्रिया
1 Nov 2013 - 2:30 pm | मदनबाण
सुरेख !
सर्वांना दिवाळीच्या हार्दिक शुभेच्छा ! :)
1 Nov 2013 - 10:28 pm | मुक्त विहारि
+ १
2 Nov 2013 - 5:11 pm | दिपक.कुवेत
एकदम साधी, सोपी कविता मनाला भावली
4 Nov 2013 - 5:10 pm | प्रा.डॉ.दिलीप बिरुटे
आवडली कविता.
-दिलीप बिरुटे
7 Nov 2013 - 7:55 pm | अनन्न्या
अगदी तंतोतंत वर्णन! सुंदर कविता!
8 Nov 2013 - 12:33 pm | रुमानी
छान..! :)
11 Nov 2013 - 4:39 am | स्पंदना
मस्त..!! :)