हिन्दी सिनेमातले काही संवाद उगाळून उगाळून पकावू झाले आहेत. तरीही अजून देखील कित्येक सिनेमात तेच ऐकायला मिळतात. मग बापुडे प्रेक्षक जमेल तेव्हा त्या संवादाची खिल्ली उडवून स्वतःचे मनोरंजन करून घेतात.
सोनी टीव्हीच्या कॉमेडी सर्कसमधे असेच एक दमदार विडंबन ऐकायला मिळाले...
बाप एकाला सांगत असतो- “मैने अपने बेटोँको पेट काट काट कर पाला है!” समोरच्यावर काही परिणाम झाला नाही हे पाहून बाप पुन्हा म्हणतो- “विश्वास नही होता तो इनके पेट देखो. अभिभी निशान है!”
असेच आणखी काही घिसेपिटे संवाद, सुचलेल्या विड्ंबनासह-
मा- “बेटे तेरे लिये मैने अपनी हाथोसे गाजर का हलवा बनाया है.” बेटा- “बस करो माँ, गाजर तो हमेशा के तरह पके नही होंगे. मै जरूर पक गया हुँ!”
लडके का बाप- “यह शादी नही हो सकती!” लडका- “क्योँ पिताजी?” लडके का बाप- “शादी करेंगा तेरा बाप!”
आणखी काही आठवणीतली पकाऊ फिल्मी वाक्ये दिली आहेत.
“आप कहना क्या चाहते है? मै कुछ समज़ा नही”
“माँ मै इमतेहाँमे फर्स्ट क्लास फर्स्ट आया!”
“तुझे उससे शादी करनी है तो मेरी लाशके उपरसे जाना होँगा!”
“तू मेरा बिछडा भाई है यार! बचपन मे हम कुंभ के मेले मे खो गये थे”
“मै तुमसे जी-जान से प्यार करता हुँ!”
“तुम होंश मे तो हो?”
........
...........
मराठी सिनेमात देखील अशी सौन्दर्यस्थळे असतीलच!
रसिकानी विडंबनाचा लुफ्त घ्यावा- द्यावा!
प्रतिक्रिया
26 Mar 2012 - 10:04 am | कानडाऊ योगेशु
एक फेमस वाक्य तर विसरलात तुम्ही..
"मै तुम्हारे बच्चे कि मा बनने वाली हू."
"नहीS S S S S"...
26 Mar 2012 - 10:21 am | अरुण मनोहर
खी: खी: खी:
विडंबन देखील येऊ द्या!
26 Mar 2012 - 10:04 am | नेत्रेश
कमीने, कुत्ते, मैं तेरा खुंन पि जाउंगा (फिर ऐसा युसलेस धागा निकाला तो)!
:) ह. घ्या.
26 Mar 2012 - 11:14 am | अरुण मनोहर
विडंबन-
-- कमीने, कुत्ते, मैं तेरा खुंन पि जाउंगा (फिर ऐसा युसलेस धागा निकाला तो)!
-- अबे सोच ले शायद तेरा नंबर आने तक कही खून ना खतम हो जाये! .. बडी लम्बी कतार है! (युसलेस धागे निकालनेवालोकी!)
26 Mar 2012 - 10:07 am | पैसा
मै यहाँ कैसे पहुंच गया?
वॉर्डबॉयः मेल्या, तू रस्त्यावर पडला होतास, तुला ५ जणांनी उचलून आणला, आता तुझी १२ तासांनी उतरलीय.
26 Mar 2012 - 10:34 am | अरुण मनोहर
विडंबन-
- मै कहा हूं?
-- मुझे क्या पता! मै आया तब तू यहा नही थी!
26 Mar 2012 - 11:06 am | चौकटराजा
पूर्विच्या हिंदी मधील
मा मैने बी ए पास कर ली है
वो दिवानबहादूर राजनाथ की एक्लौती लडकी है
बेटा, काश आज तेरे पिता जिंदा होते
अगर हो सके तो मुझे माफ करना
अब हमे कोई कोई जुदा नही कर सकता
आपने तो मुझे अपना बेटा समझ्कर पाला पोसा है
हम भी यारोंके यार है भई !
आपने तो बेटीको लाडप्यारसे अपने सरपढ चढा रक्खा है
सब गवाह और सबूत कि मद्दे नजर रखते हुए..................
मुझे लगता है कातिल कोई है .....
सध्या एवढेच पुरे आहे !
26 Mar 2012 - 11:15 am | अरुण मनोहर
विडंबने येऊ द्या राजे!
26 Mar 2012 - 11:17 am | अरुण मनोहर
जज्ज म्हणतो- सब गवाह और सबूत कि मद्दे नजर रखते हुए..................
कुछ भी कहा नही जा सकता, क्योंकी मै सो रहा था!
26 Mar 2012 - 11:53 am | अमृत
ये तुने क्या कर दिया?
जब तक मै तुम्हारी मौत का बदला नही ले लूंगा मुझे सुकून नही मिलेगा.
आज खाने मे क्य है? सरसो दी रोटी और मकई दा साग.
अमृत
26 Mar 2012 - 12:44 pm | मुक्त विहारि
तुम्हाला
सरसो का साग और मकई की रोटी ------असेच म्हणायचे आहे ना????
26 Mar 2012 - 3:12 pm | अमृत
गल्लत झाली माझी... :-(
अमृत
26 Mar 2012 - 1:18 pm | चौकटराजा
यार सुरेश, तू कॉमन्वेल्थ वाला मै २ जी का राजा , अब काटेंगे मिलकर सजा
आ गले लग जा
अब हमे कोई कोई जुदा नही कर सकता !
26 Mar 2012 - 1:42 pm | अरुण मनोहर
-- होली कब है? कब है होली?
--- अबे इतनी सारी भंग अकेले पी गया और अब पुछ रहा है! हद होती है यार!
--मैने इसे बडी लाडो प्यार से पाला है!
---तो अब भुगतो. आपही रक्खो इसे. अच्छा हुआ पहले बताया. मै चला.
26 Mar 2012 - 2:57 pm | चिरोटा
कऱोडोंकी जायदाद के मालिक .....
आतापर्यंतचा सर्वात आवडलेला डायलॉग- काला पत्थरमधील-
मंगल का खून कोई लेमन सोडा नहीं जिससे विजय जैसे ओंगे पोंगे अपनी प्यास बुझा सके |
26 Mar 2012 - 6:19 pm | विश्वेश
"मा मै आ गया मा ... अब तुम्हे कुच नहि होगा ... "
आलास मेल्या ... उकिरडे फुन्कुन .... आता मि मरायला मोकळि ...,
प्रोड्युसर ... पैश्याचे पाकिट तयार ठेवा ...
26 Mar 2012 - 7:11 pm | चौकटराजा
बेटा, काश आज तेरे पिता जिंदा होते
तो फिर जिंदा होनेके लिये मै उन्हे कभी नही माफ करती... बेवडा साला !
26 Mar 2012 - 7:30 pm | विजुभाऊ
आजतागायत एकाही हीरो ने हिरवीणीला " मै तुम्हारे बच्चे का बाप बनने वाला हुं" असे म्हंटलेले नाहिय्ये.