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}
|| गणरायाची प्रार्थना ||
"संतांची सरळ साधी शिकवण समजून घ्यावी आणि त्यानुसार आचरण असावे हीच इच्छा. त्या तळमळीतून सुचलेल्या या ओळी."
उत्सवाची शिळा| आली डोक्यावर| दगडांचा भार| माथी बसे||
कुणाला गणेश| कुणा अर्धनर| शापित संकर| प्राणिमात्रे ||
ऐकोनी भीषण| तत्त्वांचे चिंतन| बावळट ध्यान| माझे दिसे||
वेद शास्त्र चर्चा| पुराणांची गाथा| समजो न येता| खोटे कसे||
नको ऐकणे ते| [अर्ध] हळकुंडांचे सार| नसता अधिकार| बुद्धिभेद||
उत्तम गवई| राग साधे जरी| रोग साधे तरी| वैद्यराज||
ज्याचा अधिकार| त्यास त्याचा भार| श्रद्धेचा आचार| सांभाळावा||
दुधातून दही| दह्यातून लोणी| घुसळावी गोणी| अंती सार ||
तुझातच आहे | ब्रह्मतत्त्व जरी| साधनेची रवी| फिरवावी||
संत सांगताती| शास्त्रांची उकल| सद्विचारे बल| वृत्ती साधे||
ऐकावे वाचावे| मनी आचरावे| मन आवरावे| नाम घेता||
कायावाचामने| रुजो सद्विचार| तैसाची आचार| असो द्यावा||
अजाण बालक| प्रार्थितसे भावे| करवोनी घ्यावे| गणराया||
प्रचि श्रेयनिर्देश: आंतरजालावरून साभार, प्रताधिकारमुक्त.
प्रतिक्रिया
12 Sep 2019 - 8:14 am | यशोधरा
सुरेख लिहिले आहेस, राघव.
सुरेख.
12 Sep 2019 - 11:45 am | जालिम लोशन
अतिशय सुरेख.
12 Sep 2019 - 11:53 am | पद्मावति
अप्रतिम.
12 Sep 2019 - 3:36 pm | तुषार काळभोर
एकदम सुरेख ओळी!!
13 Sep 2019 - 1:55 pm | श्वेता२४
अप्रतिम लिहीलंय
15 Sep 2019 - 5:54 pm | मदनबाण
दासांचेही दास | व्हावे आपण | घालावे लोटांगण | चरणावरी |
कसालाही नसावा | मोह मद मत्सर | सतत असावे | मुखी तुझे नाम |
मागतो मी दान | तुजला गणनाथा | कधी न पडावा | विसर मजलागी |
प्रार्थीतो तुजला | हे स्वानंद नाथा | सुबुध्दी मिळावी | तुझीया कॄपेने |
मदनबाण.....
आजची स्वाक्षरी :- मेरा दिल तेरे लिये धड़कता है... :- Aashiqui
16 Sep 2019 - 6:04 am | राघव
सुंदर आहे रे बाणा! खूप मनापासून लिहिलं आहेस, आवडले! :-)
15 Sep 2019 - 6:06 pm | अलकनंदा
ही रचना खूप आवडली.
16 Sep 2019 - 6:07 am | राघव
तुम्हा सगळ्यांचे प्रतिसाद वाचून खूप आनंद झाला. सगळ्यांचे मनःपूर्वक धन्यवाद! :-)
17 Sep 2019 - 4:54 pm | प्राची अश्विनी
वाह!
17 Sep 2019 - 5:45 pm | किल्लेदार
छान !!!