लैच दिवसांनी मिपावर आलो आणि पहिल्याच धाग्यावर हात शिवशिवायला लागले....
काळी असे कुणाची, आक्रंदतात तेची,
मज पांढरी स्फुरावी, हा दैवयोग आहे,
सांगू कसे कुणाला, मी ब्यांकेत गेलो नाही,
ही सवय डेबीट कार्डची, हीतकारी ठरत् आहे,
काही करु पहातो, नसतात लोक तेथे,
पूसता कळे असे की, तो लायनीत आहे,
परीर्वतन जहाले, रात्रीत काय ऐसे,
की भर सायंकाळी, हा बार रिक्त आहे,
-(पैजारबुवा) आनंदीआनंद
प्रतिक्रिया
19 Nov 2016 - 10:28 am | संजय पाटिल
धमाल..
19 Nov 2016 - 10:57 am | शार्दुल_हातोळकर
दणदणीत हो पैजारबुवा.....
19 Nov 2016 - 11:15 am | सस्नेह
चखोट !
19 Nov 2016 - 11:29 am | आदूबाळ
पैजारबुवा इज ब्याक!
19 Nov 2016 - 11:49 am | वेल्लाभट
हे मीटर मधे बसवण्यासाठी घेतलेलं कवीचं स्वातंत्र्य आहे की व्याकरणाची चूक समजावी?
19 Nov 2016 - 11:52 am | सस्नेह
हाट ! कवितेला कुठे व्याकरण असतं का राव ?
=))
19 Nov 2016 - 4:16 pm | ज्ञानोबाचे पैजार
अपराधसहस्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया ।
दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व वाचकेश्वर:||
रच्याकने:- (माझ्या घरा समोर रहाणार्या कवितेला दोन लांबसडक वेण्या आहेत)
पैजारबुवा,
19 Nov 2016 - 6:46 pm | यशोधरा
भारी =))
19 Nov 2016 - 10:49 pm | किसन शिंदे
वाक्य प्रश्नार्थक आहे म्हणजे यातला कि -हस्व हवाय ना?
21 Nov 2016 - 2:48 pm | सूड
कि फक्त तुमच्या नावात र्हस्व असतो सभ्य संपादक, अन्यथा नाही.
21 Nov 2016 - 3:00 pm | वेल्लाभट
नाही.
19 Nov 2016 - 12:16 pm | अत्रुप्त आत्मा
व्वाह!
19 Nov 2016 - 12:23 pm | खेडूत
मस्त.
मँगो करी हा कुठला रस?
19 Nov 2016 - 1:32 pm | यशोधरा
फ्युजन रस!
19 Nov 2016 - 10:54 pm | आदूबाळ
उकळलेलं पन्हं.
19 Nov 2016 - 1:01 pm | पैसा
=)) वाङ्मयशेती लै भारी ओ तुमची!
19 Nov 2016 - 11:08 pm | डॉ सुहास म्हात्रे
=)) =))
20 Nov 2016 - 12:44 am | एस
कविता असे कुणाची, विडंबतात कोणी
मज प्रतिसादही न मिळावा, हा मिपायोग आहे.
सांगू कसे कुणाला, मी व्यनि केला नाही
ही सोय खरडवहीची, मी वापरू न पाहे
जिल्बि टाकू पहातो, वाचतात लोक एथे
धागा शोधू जाता, तो संपादित आहे
रागे करिता दंगा, मी लिहितो काहीबाही
सकाळी येता जाग, आयडी बॅन्ड् आहे!
20 Nov 2016 - 1:24 am | शार्दुल_हातोळकर
=)) दंडवत कवीराज __/\__
20 Nov 2016 - 9:24 am | ज्ञानोबाचे पैजार
हा दर्द तर मूळ गाण्यातही नाहीये...
मनापासून लिहिलेल्या या ओळींना अनेक जण मनापासून दाद देतील...
इसका अंजाम भी कुछ सोच लिया है हसरत?
तूने रब्त उन से इस दर्जा बढा रक्खा है...
पैजारबुवा,
20 Nov 2016 - 1:21 pm | एस
हायला धन्यवाद हो लोक्स! प्रतिसाद मिळाल्याने लय खुश झालो आहे! ;-)
20 Nov 2016 - 1:55 pm | टवाळ कार्टा
आरारा
20 Nov 2016 - 2:09 pm | पैसा
=))
20 Nov 2016 - 6:32 pm | यशोधरा
=))
20 Nov 2016 - 11:13 am | प्रा.डॉ.दिलीप बिरुटे
मस्त ! रविवारची धमाल सुरुवात. धन्स...!
-दिलीप बिरुटे
20 Nov 2016 - 11:54 am | जव्हेरगंज
शीर्षक जाम आवडलं!!
;)
21 Nov 2016 - 8:48 am | नाखु
अगदी लायनीत आहे आणि एस भाउंचा प्रतिसाद ही खंगरी.