केसरिया बालमा

चुकलामाकला's picture
चुकलामाकला in लेखमाला
29 Oct 2016 - 9:02 pm

केसरिया बालमा

p3

हळूच खुणवे 
लिहिता लिहिता
कोपर्‍यातला 
हिरवा ठिपका 

दोन दिशांना
दोघे आपण
नव्हती ओळख 
नव्हते नाते
ऑर्कुटवरुनी
संवादाचे 
इथेच रुजले
हिरवे पाते 

व्हर्च्युअल जरी
भांडण अपुले
किती अबोले 
लटके रुसवे
पण
केसरिया तो 
हिरवा होता 
अंतर सारे 
क्षणात मिटवे  

रंग बदलला
जगण्याचा मग,
फूलपाखरू
झालो आपण,
नवीन क्षितिजे
नवीन नाती
नवरंगातच
न्हालो आपण
.....
.....
.....

अजूनही सय 
दाटून येता
लॅपटॉप मी 
उघडून बसतो
केशर हिरवे 
होण्याची मी
पुन्हा नव्याने
वाट पहातो  

प्रतिक्रिया

काळानुसार बदलेला केसरिया बालमा. ;)
कविता आवडली.

पैसा's picture

31 Oct 2016 - 4:49 pm | पैसा

चॅट विंडोतला केसरिया हिरवा झाला! :) कविता आवडलीच!

नूतन सावंत's picture

4 Nov 2016 - 10:56 pm | नूतन सावंत

वा! सुरेख आहे कविता न चित्रही अनुरूपच.

प्राची अश्विनी's picture

5 Nov 2016 - 9:39 am | प्राची अश्विनी

नाही कळली बुवा.

पैसा's picture

6 Nov 2016 - 7:41 pm | पैसा

फेसबुक मेसेंजर वापरत नाहीस का!

प्राची अश्विनी's picture

7 Nov 2016 - 10:05 am | प्राची अश्विनी

ओह, कळलं.:)

क्या बात है! एकदम नव्या युगाची डिजिटल केसरिया कविता आवडली.

अजया's picture

6 Nov 2016 - 6:47 pm | अजया

वा! सुंदर कविता.

मस्त आहे नव्या युगाची नवी कविता:)

सुचेता's picture

6 Nov 2016 - 9:57 pm | सुचेता

मस्त आहे

मित्रहो's picture

8 Nov 2016 - 8:17 pm | मित्रहो

क्या बात डिजीटल केसरीया