अंधार..गडद, काळाकुट्ट अंधार...डोळ्यात बोट गेलं तरी दिसणार नाही इतका.
त्याला जाग येते. खिडकीतला दिवा विझलाय. पेटवायला हवा. तो बिछान्यातून उठतो. काडेपेटी नेहमीच उशाशीच असते, पडली असेल कुठेतरी. अंधारातच तो इकडेतिकडे चाचपून बघतो. बहुधा खिडकीतच ठेवलीय मगाशीच. अंदाजानेच ठेचकाळत तो तिथे पोचतो. मंद झुळूक येतेय. वाऱ्यामुळेच विझलाय वाटतं.
तो कवाडं ओढून घेतोय. पण..पण.. कुणीतरी आहे तिथे. अगम्य, निराकार... लालभडक डोळे... विचकलेले दात...शोषून घेतंय जणू आपल्याला. ऑ माय गॉड.....
खडबडून तो जागा होतो, पूर्णपणे घामाघूम.....छ्या...! नाईटमेअर...परत तेच.
दिवा फडफडतोय. खिडक्या लावल्यात. मरू दे च्यायला. विझला तर विझला. मी झोपतोय परत.
खिडकीतला दिवा मात्र पूर्णपणे विझलाय.
प्रतिक्रिया
4 Aug 2015 - 9:35 pm | जडभरत
+१
नाईटमेअर्स अनुभवलेला मी. :(
4 Aug 2015 - 9:48 pm | चिगो
दणका.. +१
4 Aug 2015 - 9:50 pm | प्रीत-मोहर
+१ सुप्पर
4 Aug 2015 - 10:19 pm | प्यारे१
+१
4 Aug 2015 - 10:25 pm | पुणेकर भामटा
मस्त
4 Aug 2015 - 10:28 pm | अजया
+१
4 Aug 2015 - 10:28 pm | अत्रुप्त आत्मा
+१
अनपेक्षित सार्थक! ;-)
समांतर:- आय डी ह्याक झालेला दिसतोय.. :P
4 Aug 2015 - 10:31 pm | प्यारे१
खिक्क् आठवला का?
4 Aug 2015 - 10:29 pm | यशोधरा
बापरे!
4 Aug 2015 - 10:32 pm | डॉ सुहास म्हात्रे
सुंदर +१
4 Aug 2015 - 11:06 pm | शब्दबम्बाळ
+१
वातावरण निर्मिती आवडली!
5 Aug 2015 - 12:05 am | टवाळ कार्टा
+१
5 Aug 2015 - 6:48 am | मुक्त विहारि
+१
5 Aug 2015 - 7:08 am | कॅप्टन जॅक स्पॅरो
+१
5 Aug 2015 - 8:55 am | नाखु
खलबली खलीबल्ली खलीवल्ली !!!!!
कथेला +१
स्वगतः दया कुछ तो गडबड है !!!
निरागस नाखुस
5 Aug 2015 - 9:28 am | तुषार काळभोर
+१
ह्म्म.. पार्ट टूच्या प्रतिक्षेत.
5 Aug 2015 - 9:39 am | पाटील हो
+१ नाईटमेअर the beginning
5 Aug 2015 - 9:40 am | नाव आडनाव
+१
5 Aug 2015 - 9:54 am | नीलमोहर
+१
5 Aug 2015 - 11:20 am | मृत्युन्जय
+१
5 Aug 2015 - 11:22 am | मी-सौरभ
मस्त
5 Aug 2015 - 11:56 am | प्रसाद गोडबोले
+१
खतरनाकच !
हेही आपल्या नोलान भाऊंच्या स्टाईल ने आहे काय ?
खिडकीतला दिवा मात्र पूर्णपणे विझलाय. >>> मग दिवा फडफडतोय. हे काय ? नक्की नाईटमेयर काय ?
भारीच !
पुभाप्र !!
5 Aug 2015 - 12:07 pm | द-बाहुबली
एक डॉक्टर जो चमडीकी बिमारीयोंका इलाज करनेमे माहीर है वोह एक सपना देखता है की वो टीवी देख रहा है, लेकीन जब टीवी के सामने वो जाग जाता है तो उसे वोह सपना बिलकुल याद नही रहता क्या तुम मानते हो.. ?
5 Aug 2015 - 1:05 pm | ज्ञानोबाचे पैजार
कथा लिहिली तेव्हा स्पांडोबा अंगात आला होता का?
पैजारबुवा,
5 Aug 2015 - 1:11 pm | रातराणी
+१
6 Aug 2015 - 9:38 am | सदस्यनाम
+१
भारी जमलीय
6 Aug 2015 - 10:47 am | बोका-ए-आझम
+१
7 Aug 2015 - 9:16 pm | बहिरुपी
+१
7 Aug 2015 - 9:58 pm | उगा काहितरीच
+१
7 Aug 2015 - 11:41 pm | पैसा
+१
8 Aug 2015 - 9:52 am | नूतन सावंत
=+१.
8 Aug 2015 - 10:55 pm | एक एकटा एकटाच
+१
9 Aug 2015 - 12:47 am | सुहास झेले
+१
9 Aug 2015 - 2:41 pm | तीरूपुत्र
+१
9 Aug 2015 - 4:14 pm | आनन्दा
+१०० दिले तर १०० धरणार का?
+१
9 Aug 2015 - 4:30 pm | द-बाहुबली
त्यासाठी १ प्रतिसाद १०० वेळा लिहावा लागेल... बहुदा.
10 Aug 2015 - 7:37 am | किसन शिंदे
जबराट लिहिलीय!
10 Aug 2015 - 12:13 pm | दिपक.कुवेत
बापरे!!
10 Aug 2015 - 5:05 pm | घरकोंबडी