काळे काकूंनी काळे काकांचे कचेरीच्या कामाचे कोरे करकरीत कागद काळ्या कात्रीने कराकरा कापून काढले की .
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जितनी दिल की गहराई हो उतना गहरा है प्याला, जितनी मन की मादकता हो उतनी मादक है हाला,
जितनी उर की भावुकता हो उतना सुन्दर साकी है,जितना ही जो रसिक, उसे है उतनी रसमय मधुशाला।।
प्रतिक्रिया
19 Mar 2010 - 11:43 pm | शुचि
काळे काकूंनी काळे काकांचे कचेरीच्या कामाचे कोरे करकरीत कागद काळ्या कात्रीने कराकरा कापून काढले की .
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जितनी दिल की गहराई हो उतना गहरा है प्याला, जितनी मन की मादकता हो उतनी मादक है हाला,
जितनी उर की भावुकता हो उतना सुन्दर साकी है,जितना ही जो रसिक, उसे है उतनी रसमय मधुशाला।।