नुस्ता गुंधूळ वर्गात. बाई कायतरी लिहीत व्हत्या, तेवढ्यात शिपाय आला नोटीस घिवून. सगळ्यान्ला वाटल उद्या सुट्टी!
बाईंनी वाचल, "सर्वांना कळविणेत येते की, पंधरा ऑगस्टनिमित्त शाळेत चित्रकला स्पर्धा आहे. भाग घ्यायचाय त्यांनी वर्गशिक्षकांकडे फी जमा करणे. नोटीस दिनांक १/८/१९९२."
शाळा सुटल्यावर तीन ढांगात घरी! तायला म्हन्लो, "ताये मला येक रुपाया दी, शाळत चित्रकला पर्धा हाय." धुनं वाळू घालीत म्हन्ली, "त्यान्ला न्हाय काम आन तुला नाय धंदा!"
धा रोज तायच्या म्हाग लाग्लो. रडलोबी. एक दिवस शाळला जाताना तायनी रुपाया दिला.
पुना तीनच ढांगा! हाजरी झाल्याझाल्या बाईन्ला म्हन्लो, "बाई, फी!" बाई म्हन्ल्या, "संदीप, मुलांची यादी कालच जिल्हा परिषदेला दिली."
म्हाग फिरल्यावर बस्करपट्टीबी दिसाना!
प्रतिक्रिया
7 Aug 2015 - 4:56 pm | अविनाश पांढरकर
+१
7 Aug 2015 - 4:58 pm | मी-सौरभ
छान
7 Aug 2015 - 4:59 pm | पियुशा
+१
7 Aug 2015 - 5:02 pm | तुषार काळभोर
+१
7 Aug 2015 - 5:05 pm | शलभ
+१
7 Aug 2015 - 5:07 pm | नाव आडनाव
+१
7 Aug 2015 - 5:13 pm | सनईचौघडा
+१
7 Aug 2015 - 5:20 pm | बबन ताम्बे
+१
7 Aug 2015 - 5:28 pm | जडभरत
+१
7 Aug 2015 - 5:33 pm | अत्रुप्त आत्मा
मस्स्स्स्स्त! +१
7 Aug 2015 - 6:22 pm | चांदणे संदीप
पहिलाच प्रयत्न होता!
सर्वांचे खूप आभार!
7 Aug 2015 - 6:26 pm | प्यारे१
+१
7 Aug 2015 - 6:30 pm | जेपी
+1
7 Aug 2015 - 6:53 pm | कॅप्टन जॅक स्पॅरो
+१
7 Aug 2015 - 7:48 pm | एस
+१
7 Aug 2015 - 7:59 pm | बहिरुपी
+१
7 Aug 2015 - 9:39 pm | धनावडे
+१
7 Aug 2015 - 9:41 pm | अंतु बर्वा
+१
7 Aug 2015 - 9:45 pm | आतिवास
+१
7 Aug 2015 - 9:58 pm | थॉर माणूस
+१
7 Aug 2015 - 10:17 pm | उगा काहितरीच
बस्करपट्टी काय असते ?
7 Aug 2015 - 10:56 pm | जडभरत
गावातली गरीब पोरे ***खाली बसायला घेतात ते!!!
7 Aug 2015 - 11:08 pm | चांदणे संदीप
ब-याच सरकारी शाळा विशेषत: ग्रामीण भागातल्या शाळांमधून बसण्यासाठी सतरंजी टाईप अंथरूण असायचे त्याला बस्कर म्हणायचे आणि लांबच्या लांब पट्ट्यांसारख्या असायच्या म्हणून 'बस्करपट्टी!'
प्रतिसादासाठी धन्यवाद.
अवांतर : तुमचे प्रतिसाद ब-याचदा तुमच्या आयडीचे सार्थक करतात (कृ. ह. घ्या)
8 Aug 2015 - 11:51 am | संजय पाटिल
बापरे! ती बी ढापली का काय कुनी? (कृ. ह. घ्या)
+१ मस्त
8 Aug 2015 - 12:03 pm | अजया
डोळे भरुन आले हो बिचार्याचे.दिसेना त्याला.
8 Aug 2015 - 12:26 pm | चांदणे संदीप
एवढ दुर्बोध वाक्य असेल ते शेवटच वाक्य, अस नाही वाटत. :-)
अजयातै धन्स!
सर्वांचे परत एकदा आभार!
8 Aug 2015 - 7:13 pm | उगा काहितरीच
भाऊ , त्यासाठीच तर असा आयडी घेतला आहे की . रच्याकने तुमच्या कथेसाठी +१ .
7 Aug 2015 - 10:55 pm | शिवोऽहम्
+१
7 Aug 2015 - 11:08 pm | योगी९००
+१
7 Aug 2015 - 11:12 pm | चांदणे संदीप
सर्व प्रतिसादकांचे मनापासून आभार!
_________/\_________
7 Aug 2015 - 11:13 pm | पैसा
+१
आवडली कथा!
8 Aug 2015 - 1:00 am | बोका-ए-आझम
+१
8 Aug 2015 - 1:30 am | सचिन तेली
+१
बस्करपट्टी माहीत नव्हते. कळाले आता.
8 Aug 2015 - 1:50 am | स्रुजा
+ १
8 Aug 2015 - 2:45 am | जुइ
+१
8 Aug 2015 - 8:06 am | रातराणी
+1
8 Aug 2015 - 9:47 am | टुंड्रा
+1
8 Aug 2015 - 12:02 pm | अजया
+१
8 Aug 2015 - 12:38 pm | नाखु
सा सं चे विशेष आभार वाचक लिहिते झाले.
साचलेपण की साच लेपण या वादात न पडणारा मुकाट वाचक नाखु.
8 Aug 2015 - 2:02 pm | नूतन सावंत
+१
8 Aug 2015 - 2:21 pm | तुमचा अभिषेक
बस्करपट्टी नवीन शब्द समजला
8 Aug 2015 - 6:40 pm | राघवेंद्र
+१
8 Aug 2015 - 6:46 pm | रेवती
+१
8 Aug 2015 - 6:55 pm | चिगो
छान कथा..
8 Aug 2015 - 10:26 pm | तीरूपुत्र
+१
10 Aug 2015 - 10:30 am | अंजली पाटील
+१
10 Aug 2015 - 10:46 am | यमन
मस्त ...काय लिहू ? आरसा दिसला एवढेच म्हणीन .
10 Aug 2015 - 10:51 am | बबन ताम्बे
म्हाग फिरल्यावर बस्करपट्टीबी दिसाना!
अरेरे !
छान कथा !
10 Aug 2015 - 10:54 am | नितिन५८८
+१
10 Aug 2015 - 10:56 am | समीरसूर
+1