आम्च्या बाई मस्स कड्डक
मारत्यात, अंगठे बी धराया लावत्यात
अतल्याने बोरं खाल्ली आनि बिया टाकल्या बाकाखाली.
मी बी खाल्ली पन बिया घातल्या खिशात. झाड लावनार.
मंग बाई आल्त्या वर्गात इंस्पेक्टर सोबत.
कचरा बघुन भडकल्याच. पन बोलाल्या नाहित साहेबासमोर.
साहेबाने म्हया इचारले "आज २३ जुलाई म्हंजे काय माहितीये का?"
म्या म्हनलो "माहित नसायला काय झालं? आज लोकमान्यांचा वाढदिवस." टिळकांची गोष्ट बी सांगितली.
मास्तर खुष. चॉकोलेट देउन गेले निघुन.
चॉकोलेट पडले म्हनुन उचलाया गेलो तर बियाच पडल्या खाली.
बाई म्हनल्या "तुच केला कचरा उचल समदा आता."
म्या म्हनलो "आज टिळकांचा बड्डे. मी कचरा केला नाय मी उचलनार नाय."
बाईनी काहून वर्गाबाह्यर काढला?
प्रतिक्रिया
4 Aug 2015 - 4:49 pm | एस
मस्स्स्स्स्त्त!
4 Aug 2015 - 4:50 pm | ब़जरबट्टू
+१ आवडली.
4 Aug 2015 - 4:51 pm | मधुरा देशपांडे
+१
4 Aug 2015 - 4:53 pm | सन्दीप
+ १
4 Aug 2015 - 4:54 pm | चिगो
एकच नंबर.. जाम आवडली.
आद्य शतशब्दकथा-कन्या 'आन्जी'चा खरा मैतर परत आला, असं वाटलं..
अवांतर : भाषेचा बाज वर्हाडी आहे असं सम्जून चालल्यास 'साहेबाने म्हया इचारले' हे 'साहेबानं मले इचारलं' असं हवं..
म्हया/म्या = मी, मले = मला..
4 Aug 2015 - 4:59 pm | अन्या दातार
शब्दाशब्दाशी सहमत
4 Aug 2015 - 5:01 pm | भुमन्यु
+१
4 Aug 2015 - 5:01 pm | जडभरत
+१
4 Aug 2015 - 5:04 pm | स्रुजा
+१ खुप आवडली
4 Aug 2015 - 5:08 pm | टवाळ कार्टा
+१
4 Aug 2015 - 5:14 pm | कपिलमुनी
एक नंबर !
शाताशब्द कथांचा भावबंबाळपणा कमी होऊन खुसखुशीतपणा वाढला आहे.
4 Aug 2015 - 5:24 pm | सौंदाळा
+१
आवडली
4 Aug 2015 - 5:29 pm | मुक्त विहारि
+१
4 Aug 2015 - 5:31 pm | सूड
+१
4 Aug 2015 - 5:34 pm | gogglya
+१
4 Aug 2015 - 5:36 pm | अजया
+१
खूप आवडली.आंजीची आठवण आली.
4 Aug 2015 - 5:51 pm | रेवती
कथा आवडली. + १.
4 Aug 2015 - 5:58 pm | प्रचेतस
+१
4 Aug 2015 - 6:01 pm | प्रसाद गोडबोले
+१
खुपच छान !
उत्तरार्ध कसा असेल ह्याची प्रचंड उत्सुकता !!
4 Aug 2015 - 6:21 pm | नाखु
उत्कंठा वाढलीय हे पण खरे !!!
ठळक पणे टिळकलेला नाखु
4 Aug 2015 - 6:05 pm | जेपी
+1
कथानायकाला नाव द्यायला पाहिजे होत.
9 Aug 2015 - 2:32 pm | टवाळ कार्टा
अत्मु चालेल कै ;)
4 Aug 2015 - 6:11 pm | मितान
छान !
4 Aug 2015 - 6:14 pm | dadadarekar
ही खरं तर आंजीचीच कथा.
4 Aug 2015 - 6:21 pm | सदस्यनाम
+१
अतिवास यांच्या कथेचे वातावरण आठवले.
4 Aug 2015 - 6:25 pm | प्रीत-मोहर
प्रचंड आवडेश
+१
4 Aug 2015 - 6:48 pm | इशा१२३
+१
4 Aug 2015 - 6:48 pm | शलभ
+१
4 Aug 2015 - 6:53 pm | चाणक्य
एक लंबर
4 Aug 2015 - 7:07 pm | यशोधरा
लईच भारी भौ!
4 Aug 2015 - 7:09 pm | सूड
+१
4 Aug 2015 - 7:22 pm | राघवेंद्र
आवडली
4 Aug 2015 - 7:31 pm | जयनीत
मस्त कथा.
4 Aug 2015 - 7:35 pm | विवेकपटाईत
+१ मस्त आवडली
4 Aug 2015 - 7:37 pm | प्यारे१
+११११
4 Aug 2015 - 7:50 pm | अत्रुप्त आत्मा
+१
अप्रतिम !
4 Aug 2015 - 7:52 pm | द-बाहुबली
कथेची संकल्पना आवडली.
4 Aug 2015 - 7:53 pm | नूतन सावंत
सुरेख.आवडली.
4 Aug 2015 - 7:56 pm | कैलासवासी सोन्याबापु
प्रचंड जास्त आवडली
4 Aug 2015 - 10:32 pm | पुणेकर भामटा
झकास
4 Aug 2015 - 10:36 pm | डॉ सुहास म्हात्रे
लई बेस !
4 Aug 2015 - 10:45 pm | लाल टोपी
+१
4 Aug 2015 - 11:15 pm | पिलीयन रायडर
+१
5 Aug 2015 - 12:00 am | चलत मुसाफिर
+१
5 Aug 2015 - 12:47 am | टिवटिव
+१
5 Aug 2015 - 12:47 am | अनन्त अवधुत
+१
5 Aug 2015 - 4:14 am | शिवोऽहम्
मस्तच!
5 Aug 2015 - 8:28 am | योगी९००
+१ आवडली.
5 Aug 2015 - 9:30 am | मिनेश
आवडली
5 Aug 2015 - 9:36 am | पाटील हो
+१