श्रावणाचे वेडे दिवस. दिवसभरात ऊन पावसाच्या खेळात न्हाऊन वेड्या आठवणींमध्ये रमलेलं मन, आठवणींच्या गावात मनोमन रमताना तिन्हीसांजेच्या कातरवेळी अचानक समोर आलेले मैत्र आणि मग जमून गेलेली, रंगलेली, रेंगाळलेली एक हवीहवीशी मैफल...
तुम ख़याल रखना अपना..
मेरे पास आज भी...
कोई 'तुमसा' नहीं है
याददाश्त का कमज़ोर होना बुरी बात नहीं है जनाब....
बड़े बेचैन रहते है वो लोग जिन्हे हर बात याद रहती है....!!
अजीब है तेरी महोब्बत,
अजीब है तेरी आदत।
न याद करने का हक़ देते हो,
न भूल जाने की इजाज़त
ज़रा सी रंजिश पर ना छोड़
किसी अपने का दामन
ज़िंदगी बीत जाती है
अपनो को अपना बनाने में.
लाख समझाया उसको कि दुनिया शक करती है,
मगर उसकी आदत नहीं गई मुस्कुरा कर गुजरने की...
बेखबर हो गये हैं कुछ लोग,
जो हमारी जरूरत तक महसूस नही करते!
कभी बहोत बाते किया करते थे हमसे,
अब खैरियत तक पूछा नही करते!!
हम कुछ ना कह सके उनसे, इतने जज्बातों के बाद,
हम अजनबी के अजनबी ही रहे इतनी मुलाकातो के बाद..
मेरी खामोशियो के राज़ ख़ुद मुझे ही नहीं मालूम...
जाने क्यू लोग मुझे मगरूर समझते है...
तू रूठा रूठा सा लगता है, कोई तरकीब बता मनाने की
मैं ज़िन्दगी गिरवी रख दूं, तू क़ीमत बता मुस्कुराने क़ी
सीढिया उन्हे मुबारक हो, जिन्हे छत तक जाना है…..
मेरी मन्जिल तो आसमान है, रास्ता मुझे खुद बनाना है..।
"दिल मजबूर कर रहा है उनसे बात करने को ..!!
और कमबख्त ज़िद भी करता है कि शुरुआत भी वो करे ..!!"
''हर एक इंसान हवा में उड़ता फिरता हैं,
फिर ना जाने जमीन पर इतनी भीड़ क्यों हैं ..?"
साथ जब भी छोड़ना, तो मुस्कुरा कर छोड़ना…
ताकि दुनिया ये ना समझे, हम में दूरी हो गई…!!
तुम मुझ से दूर रहकर ख़ुश हो,तो ये बहुत अच्छी बात है ,
मुझे अपनी मोहब्बत से ज्यादा, तेरी मुस्कराहट पसंद है ....!!!
एक दुःख पर हज़ार आँसू ...
उफ्फ़ !!! आँखों की ये फ़िज़ूल खर्चियाँ
महफ़ूज़ रख ले, मुझको गहराइयों में...
दिल के ये चंद लम्हें, मेरे तुझ पे उधार हैं...
आज फुरसत मिली है मुद्दत मे...
अभी रुख्सत की बात मत करना
"रुतबा" तो खाँमोशियों का होता है..
"अल्फ़ाज़" का क्या ?
वो तो बदल जाते हैं अक्सर
"हालात" देखकर...!!!
ताउम्र जन्नत में रह के उसे ही उजाड़ने की ख्वाहिश में गुज़ार दी,
और जिहाद बस इस बात का था की मरने के बाद जन्नत मिले...
हम भी हुआ करते थे वकील, इश्क वालों के कभी..
नज़रे उनसे क्या मिलीं, आज खुद कटघरे में है
कभी टूटा नही मेरे दिल से तेरी याद का रिश्ता
गुफ़्तुगू जिस से भी हो ख़याल तेरा ही रहता है.."
तेरे मुस्कुराने का असर
सेहत पे होता है,
लोग पूछ लेते है..
दवा का नाम क्या है
दिल की ना सुन ये फ़क़ीर कर देगा...!!
ये जो उदास बैठे है, नवाब थे कभी...!!
प्रतिक्रिया
23 Aug 2016 - 4:45 pm | ज्योति अळवणी
सुंदर
23 Aug 2016 - 6:26 pm | जयन्त बा शिम्पि
याददाश्त का कमज़ोर होना बुरी बात नहीं है जनाब....
बड़े बेचैन रहते है वो लोग जिन्हे हर बात याद रहती है....!! वा !! वा !!
खूपच छान . मलाही फिराक गोरखपुरी यांचा शेर आठवला ( याद तो हमेशा रहता है,मगर मुझे उसे याद करके चैन आता है!)
" एक मुद्दतसे आप याद, आये भी नही ,
और हम तुम्हे भूल गये हो, ऐसा भी नही "
दुसरा आणखी असाच
" एक तुम हो कि तुम्हे कुछ भी याद नही
और एक हम है हमें सब कुछ याद है ,
जिंदगीके बस दो ही तराने है,
एक तुम्हें याद है , और एक हमें याद है "
23 Aug 2016 - 8:10 pm | इल्यूमिनाटस
"दिल मजबूर कर रहा है उनसे बात करने को ..!!
और कमबख्त ज़िद भी करता है कि शुरुआत भी वो करे ..!!"
सुंदर ! मजा येऊन गेली ना बाप्पा
24 Aug 2016 - 10:47 pm | चौथा कोनाडा
श्रावणासारखाच टवटवी निर्माण करणारा लेख !
मस्त ! मजा आला !
सुरेख लेखन, सुंदर संदर्भ !!
चीयर्स, मावितै
27 Aug 2016 - 8:42 pm | माधुरी विनायक
27 Aug 2016 - 8:42 pm | माधुरी विनायक
27 Aug 2016 - 8:47 pm | माधुरी विनायक
27 Aug 2016 - 8:47 pm | माधुरी विनायक
27 Aug 2016 - 8:47 pm | माधुरी विनायक
27 Aug 2016 - 8:48 pm | माधुरी विनायक
27 Aug 2016 - 8:49 pm | माधुरी विनायक
29 Aug 2016 - 12:55 pm | चौथा कोनाडा
कधी येणार हा पुढचा धागा "आवडलेल्या आणखी अशाच काही ओळ
अवांतर:
आवडलेल्या आणखी अशाच काही ओळी...
किती वेळा ? :-)
29 Aug 2016 - 1:07 pm | जयन्त बा शिम्पि
आवडलेल्या आणखी अशाच काही ओळी...
" ठंडी हवाके झोंके, चलते है हलके हलके, ऐसेमें दिल ना तोडो, वादे करो ना कलके !
चलते है वो भी हमसे, तेवर बदल बदल के, जिनको सिखाया हमने, चलना सम्हल सम्हलके !
साकी ने आज मुझको ,ऐसी नजरसे देखा,मौसम हुआ गुलाबी, रंगीन जाम छलके !
बिस्तर की सिलवटोंसे ,ये महसूस हो रहा है, तोडा है दम किसीने,करवट बदल बदल के ! "
29 Aug 2016 - 1:10 pm | नीलमोहर
सुरेख..
29 Aug 2016 - 2:07 pm | सानझरी
तेरे मुस्कुराने का असर
सेहत पे होता है,
लोग पूछ लेते है..
दवा का नाम क्या है
गालिबही असंच काहीसं म्हणतो..
उनके देखे से जो आ जाती है मुँह पे रौनक
वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है।
29 Aug 2016 - 2:12 pm | यशोधरा
क्या बात!
29 Aug 2016 - 6:02 pm | माधुरी विनायक
29 Aug 2016 - 6:03 pm | माधुरी विनायक
29 Aug 2016 - 6:21 pm | पाटीलभाऊ
अहाहा...एक से एक..!
मस्तच एकदम..!
1 Sep 2016 - 3:02 pm | माधुरी विनायक
1 Sep 2016 - 3:54 pm | प्रभाकर पेठकर
सुंदर शेरोशायरी. कौतुकास्पद.